Monday, December 15, 2025
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सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि, व्यक्तित्व व कृतित्व को किया नमन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आधुनिक भारत के शिल्पकार और भारत रत्न लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान को स्मरण किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज़ादी के बाद भारत के समक्ष अनेक जटिल चुनौतियाँ थीं। जम्मू-कश्मीर के प्रश्न को लेकर असमंजस की स्थिति बनी, और यह विषय तत्कालीन नेतृत्व के निर्णयों से लंबे समय तक विवादित रहा। उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी है, जिन्होंने लौहपुरुष सरदार पटेल और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार करते हुए धारा-370 को समाप्त किया और ‘एक देश, एक प्रधान, एक विधान और एक निशान’ के संकल्प को आगे बढ़ाया। सीएम योगी ने कहा कि गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार का मार्ग प्रशस्त किया, विभिन्न विवादों के समाधान के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया और भारत की प्रशासनिक सेवा को वर्तमान स्वरूप देने में निर्णायक भूमिका निभाई। उनका यशस्वी नेतृत्व यदि और लंबे समय तक मिलता तो देश को और अधिक लाभ होता, किंतु 15 दिसंबर 1950 को उनका देहावसान हो गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल की स्मृतियाँ, देश के प्रति उनकी सेवाएँ और योगदान प्रत्येक भारतवासी के लिए चिरस्मरणीय अध्याय हैं। भारत माता के इस महान सपूत के प्रति देश सदैव श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ नतमस्तक रहेगा। सीएम योगी ने सरदार पटेल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के करमसद में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने परिश्रम के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त की और अपनी प्रतिभा व ऊर्जा को राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित किया। स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने नेतृत्व किया, अनेक बार जेल की यातनाएँ सहीं, लेकिन अपने संकल्प से कभी विचलित नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज़ादी के समय सरदार पटेल ने देश के विभाजन का पुरज़ोर विरोध किया और 567 रियासतों को भारत गणराज्य में विलय कर राष्ट्रीय एकता की नींव मजबूत की। जूनागढ़ के नवाब और हैदराबाद के निज़ाम के भारत में विलय को लेकर उन्होंने सूझबूझ और दृढ़ता के साथ रक्तहीन क्रांति के माध्यम से समाधान किया, जिससे दोनों रियासतें भारत का अभिन्न हिस्सा बनीं। उन्होंने कहा कि देश वर्तमान भारत के शिल्पकार के रूप में सदैव लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का स्मरण करता रहेगा।

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