Wednesday, August 6, 2025
Google search engine
HomeUncategorizedमराठा आरक्षण मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फैसले से संतुष्ट नहीं...

मराठा आरक्षण मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं : भुजबल

मुंबई। अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में ‘पिछले दरवाजे से मराठों के प्रवेश’ पर सवाल उठाते हुए महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने रविवार को कहा कि वह आरक्षण मुद्दे पर राज्य सरकार के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। भुजबल ने यह दावा भी किया कि मराठों के कुनबी रिकॉर्ड का पता लगाने के लिए बनायी गयी समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) संदीप शिंदे देश के प्रधान न्यायाधीश से करीब दोगुना वेतन पा रहे हैं, जो गैर जरूरी खर्च है। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें मान लिये जाने के बाद शनिवार को अपना अनिश्चितकालीन उपवास खत्म कर दिया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तबतक उन्हें ओबीसी को प्राप्त सभी लाभ मिलते रहेंगे। जरांगे के साथ बातचीत के बाद सरकार द्वारा एक मसौदा अधिसूचना जारी की गयी थी, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी मराठा व्यक्ति के रिश्तेदार के पास यह दर्शाने के लिए रिकॉर्ड है कि वह कृषक ‘कुनबी’ समुदाय से आता है तो उसे भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी। कृषक समुदाय ‘कुनबी’ ओबीसी के अंतर्गत आता है और जरांगे भी सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र मांग रहे थे। जरांगे मराठों के वास्ते आरक्षण की मांग को लेकर अगस्त से आंदोलन कर रहे थे। भुजबल ने आरक्षण मुद्दे पर सरकार के इस कदम की आलोचना की और ओबीसी श्रेणी में ‘पिछले दरवाजे से मराठों के प्रवेश’ पर सवाल खड़ा किया। रविवार को नासिक में संवाददाताओं से बातचीत में भुजबल ने कहा ओबीसी के बीच यह सोच बन रही है कि वे अपना आरक्षण गंवा बैठे हैं, क्योंकि मराठे (उसके) लाभ ले लेंगे। मंत्री ने कहा कि वह मराठों को अलग से आरक्षण देने का समर्थन करते हैं, लेकिन वह उनके साथ मौजूदा ओबीसी आरक्षण साझा करने के पक्ष में कतई नहीं हैं। उन्होंने दावा किया चूंकि एक बार वे मौजूदा ओबीसी आरक्षण का हिस्सा बन गये, तो सिर्फ उन्हें ही लाभ मिलेगा।राकांपा (अजित पवार गुट) के मंत्री भुजबल ने कहा मुख्यमंत्री जो कह रहे हैं, उससे मेरे मन को संतुष्टि नहीं मिल रही है। उन्होंने मराठों के कुनबी रिकॉर्ड का पता लगाने के लिये गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति को जारी रखने पर भी अपनी नाखुशी प्रकट की। उन्होंने सवाल किया, ‘‘मेरी जानकारी के अनुसार भारत के प्रधान न्यायाधीश को 2.80 लाख रुपये की तनख्वाह मिलती है, जबकि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) शिंदे और समिति को 4.5-4.5 लाख रुपये मिलते हैं। इतना अधिक खर्च क्यों किया जा रहा है?’

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments