Monday, December 22, 2025
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बकाया नहीं चुकाने वाले बिल्डरों पर नोएडा अथॉरिटी का शिकंजा, दो बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच के आदेश

नोएडा, उत्तर प्रदेश। नोएडा प्राधिकरण ने बकाया राशि जमा न करने वाले बिल्डरों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई की है। प्राधिकरण ने दो प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को जांच के लिए पत्र भेज दिया है। यह कार्रवाई लंबे समय से भारी बकाया होने और बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद भुगतान न करने के चलते की गई है। प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार, सेक्टर-50 स्थित मैसर्स टीजीबी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और सेक्टर-143 स्थित मैसर्स किण्डल इन्फ्राहाइट्स लिमिटेड पर नोएडा अथॉरिटी का करोड़ों रुपये का बकाया लंबित है। मैसर्स टीजीबी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर लगभग 75 करोड़ 96 लाख रुपये, जबकि मैसर्स किण्डल इन्फ्राहाइट्स लिमिटेड पर करीब 396 करोड़ 36 लाख रुपये की भारी देनदारी है। अधिकारियों के अनुसार, दोनों कंपनियों को बकाया भुगतान के लिए कई बार नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन न तो पूरी राशि जमा की गई और न ही किसी तरह का संतोषजनक जवाब दिया गया। लगातार नियमों की अनदेखी और प्राधिकरण के निर्देशों का पालन न करने के कारण अब मामले को आर्थिक अपराध शाखा के हवाले किया गया है, ताकि वित्तीय अनियमितताओं और संभावित धोखाधड़ी की गहन जांच की जा सके। नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों का कहना है कि बकाया राशि समय पर जमा न होने से प्राधिकरण की कई महत्वपूर्ण विकास योजनाएं प्रभावित होती हैं। सड़कों के निर्माण, सीवरेज सिस्टम, जल आपूर्ति, पार्कों के विकास और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए यही धन इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में बड़े बकायेदारों के खिलाफ कठोर कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब नोएडा प्राधिकरण ने इस तरह की कार्रवाई की हो। इससे पहले भी प्राधिकरण ने सात अन्य बिल्डरों के खिलाफ दिल्ली स्थित ईओडब्ल्यू को पत्र भेजकर जांच की सिफारिश की थी। प्राधिकरण का साफ कहना है कि सरकारी बकाया दबाकर बैठने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। नोएडा अथॉरिटी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यदि भविष्य में भी कोई बिल्डर बकाया भुगतान में लापरवाही बरतता है, तो उसके खिलाफ इसी तरह की सख्त और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस कदम को न सिर्फ राजस्व की वसूली के लिहाज से अहम माना जा रहा है, बल्कि इससे रियल एस्टेट सेक्टर में जवाबदेही, अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद भी जताई जा रही है।

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