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मुंबई। 122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। इस बार गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का नाम धर्मेश पौन है, जो एक डेवलपर बताया जा रहा है। जांच में खुलासा हुआ कि धर्मेश ने इस घोटाले में गबन किए गए 122 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये लिए थे। आर्थिक अपराध शाखा के अनुसार, मुख्य आरोपी और बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता से धर्मेश ने मई और दिसंबर 2024 में 1.75 करोड़ रुपये तथा जनवरी 2025 में 50 लाख रुपये प्राप्त किए थे। पुलिस ने हितेश मेहता को कल लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपियों को मुंबई के किला कोर्ट में पेश किया गया है। अदालत ने मामले की आगे की जांच के लिए दोनों को 21 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
कैसे हुआ 122 करोड़ रुपये का घोटाला?
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व महाप्रबंधक हितेश प्रवीणचंद मेहता ने दादर और गोरेगांव शाखाओं के प्रभारी रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया और दोनों शाखाओं के खातों से 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
प्रभादेवी शाखा से 112 करोड़ रुपये गायब
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जब एक शाखा से दूसरी शाखा में पैसे ट्रांसफर किए जाते थे, उस दौरान हितेश मेहता चोरी को अंजाम देता था। वह मनी ट्रांसफर के दौरान बैंक से नकदी निकालकर अपने घर ले जाता था। आरबीआई द्वारा 12 फरवरी को की गई जांच में प्रभादेवी शाखा से 112 करोड़ रुपये गायब पाए गए, जबकि गोरेगांव शाखा से भी 10 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली। बैंक के एक्टिंग चीफ अकाउंटिंग ऑफिसर देवर्षि घोष ने बताया कि बैंक की दोनों शाखाओं में नकदी रखने के लिए अलग-अलग तिजोरियां बनी हुई थीं, जहां से पैसे निकाले गए।
आरबीआई जांच के दौरान कबूला गुनाह
आरबीआई की जांच के बीच ही हितेश मेहता बैंक पहुंचा और अधिकारियों से कहा कि 122 करोड़ रुपये की कमी के लिए वह खुद जिम्मेदार है। उसने पैसे निकालकर अपने परिचितों को दे दिए और बताया कि वह कोविड-19 के समय से ही बैंक से पैसे निकाल रहा था। अब आर्थिक अपराध शाखा ने हितेश के सहयोगी धर्मेश पौन को भी गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस मामले की आगे जांच कर रही है।