
मुंबई। राज्य की मत्स्य पालन परियोजनाओं को अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार ने मछली आहार (फिश फीड) खरीद को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं। मत्स्य पालन एवं बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने बताया कि इन निर्देशों से न केवल स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि मछली उत्पादन की गुणवत्ता और सुरक्षा में भी सुधार होगा। वे मत्स्य पालन विभाग द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मछली चारा मुख्यतः राज्य के बाहर से मंगवाया जा रहा है, जिससे लागत, गुणवत्ता और समय की दृष्टि से अनेक चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए विभाग ने यह निर्णय लिया है कि अब सभी सरकारी सब्सिडी प्राप्त परियोजनाएं केवल उन्हीं मछली आहार निर्माताओं से चारा खरीदेंगी जो राज्य में पंजीकृत, प्रमाणित और अनुमोदित हैं। इसके अलावा, मछली आहार का ISI, BIS या FSSAI प्रमाणन अनिवार्य होगा तथा पैकेजिंग पर पोषण तत्वों की जानकारी, उत्पादन और समाप्ति तिथि स्पष्ट रूप से अंकित होनी चाहिए। चारे की आपूर्ति वायुरोधी व सुरक्षित पैकेजिंग में होनी चाहिए और केवल स्वच्छ व सूखे वाहनों द्वारा परिवहन किया जाएगा। साथ ही, जीएसटी पंजीकरण और रसीद या टैक्स इनवॉयस देना अनिवार्य किया गया है। खरीदारों– यानी किसानों का विवरण भी रिकॉर्ड में रखना होगा। राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाएं जैसे मत्स्य बीज उत्पादन केंद्र, पिंजरे में पालन, बायोफ्लॉक प्रणाली और पालन तालाबों को इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। मंत्री राणे ने कहा कि इन निर्देशों से स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की नीली अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। यदि किसी मछुआरे या किसान को गुणवत्ता को लेकर कोई शिकायत होती है, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मछली पालन क्षेत्र को अधिक टिकाऊ, पर्यावरण-संवेदनशील और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।