
नवी मुंबई। नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (एनएमआईए) को सिविल एविएशन डायरेक्टरेट जनरल (डीजीसीए) से एयरपोर्ट लाइसेंस मिल गया है। इस अनुमति के साथ हवाईअड्डे के संचालन शुरू करने की अंतिम नियामकीय बाधा भी दूर हो गई है। लाइसेंस मिलने का अर्थ है कि एयरपोर्ट सभी सुरक्षा और परिचालन मानकों पर खरा उतरता है। अब यह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट 8 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, एयरपोर्ट के नामकरण को लेकर विवाद अभी भी गहराता जा रहा है। स्थानीय अहीर-कोली समुदाय और परियोजना से प्रभावित लोगों (पीएपी) की लंबे समय से यह मांग रही है कि एयरपोर्ट का नाम उनके नेता, दिवंगत डी. बी. पाटिल के नाम पर रखा जाए। पिछले कुछ हफ्तों में नवी मुंबई में रैलियों और प्रदर्शनों ने इस मुद्दे को और तेज कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाटिल की विरासत और संघर्ष को सम्मान देना जरूरी है। हाल ही में एनसीपी-एसपी सांसद सुरेश म्हात्रे के नेतृत्व में हुई बाइक रैली ने इस मांग को फिर सुर्खियों में ला दिया। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकेत दिया कि राज्य सरकार इस नामकरण को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा- मुझे लगता है कि हम नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम डी. बी. पाटिल के नाम पर रख सकते हैं। फडणवीस के अनुसार, केंद्र सरकार को इस संबंध में औपचारिक प्रस्ताव भेजा गया है और वहां से सकारात्मक संकेत भी मिल रहे हैं। डी.बी.पाटिल किसानों और मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले नेता रहे। शहरी परियोजनाओं से विस्थापित लोगों के लिए उन्होंने 12.5 प्रतिशत विकसित भूमि योजना जैसी ऐतिहासिक पहल करवाई थी, जिससे प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा मिल सका। स्थानीय लोग एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखे जाने को उनके बलिदान और योगदान की प्रतीकात्मक मान्यता मानते हैं। इसी बीच, उल्वे और पनवेल के बीच स्थित यह एयरपोर्ट संचालन की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। यह हवाईअड्डा मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे (सीएसएमआईए) के साथ ट्विन-एयरपोर्ट मॉडल पर काम करेगा। यह व्यवस्था दुबई (डीएक्सबी-डीडब्ल्यूसी), लंदन (हीथ्रो-गेटविक) और न्यूयॉर्क (जेएफके-न्यूअर्क) जैसे वैश्विक उदाहरणों के अनुरूप होगी।