
मुंबई। राज्य में मार्च-अप्रैल में कुछ जिलों तथा मई में उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ और कोंकण क्षेत्र में बेमौसम बारिश, तूफान और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यापक नुकसान हुआ है। इस संदर्भ में राज्य के सहायता एवं पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव-पाटिल ने विधान परिषद में प्रश्नकाल के दौरान जानकारी दी कि संबंधित अधिकारियों को तुरंत पंचनामा करने के निर्देश दिए गए हैं और पंचनामा पूरा होते ही सरकार की नीतियों के अनुसार प्रभावितों को सहायता राशि वितरित की जाएगी। विधान परिषद सदस्यों राजेश राठौड़, अभिजीत वंजारी, प्रवीण दारकेकर, शशिकांत शिंदे और सतेज पाटिल ने आपदाओं के कारण फसलों और जानमाल के हुए नुकसान तथा सहायता वितरण की स्थिति पर प्रश्न उठाया था। जवाब में मंत्री ने बताया कि बिजली गिरने से राज्य में अब तक 63 लोगों की जान गई है, और सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रूपए की सहायता राशि देने की घोषणा की गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन परिवारों को अभी तक सहायता नहीं मिली है, उन्हें आगामी दो दिनों में सहायता राशि वितरित कर दी जाएगी। कृषि फसलों के नुकसान का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि राज्यभर में कुल 75,355 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है और लगभग 1,68,750 किसान इससे प्रभावित हुए हैं। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा करीब 213 करोड़ रूपए की सहायता देने का प्रस्ताव है। वहीं ‘आर्द्र सूखे’ की घोषणा को लेकर उन्होंने कहा कि सरकारी नियमों के अनुसार यदि किसी स्थान पर 24 घंटे में 65 मिमी से अधिक या लगातार पांच दिनों तक 10 मिमी से अधिक वर्षा होती है, तभी उसे आर्द्र सूखा घोषित किया जा सकता है। 8 जून 2025 तक पंचनामा की प्रक्रिया जारी है और इसके पूर्ण होने के बाद निर्णय लिया जाएगा। मंत्री जाधव-पाटिल ने यह भी बताया कि जिन क्षेत्रों में घरों को नुकसान पहुंचा है, वहां के लिए विभागीय निधि से सहायता दी जा रही है। कोंकण, नासिक और अमरावती डिवीजनों को 5-5 करोड़ रूपए, पुणे और छत्रपति संभाजीनगर डिवीजनों को 12-12 करोड़ रूपए तथा नागपुर डिवीजन को 10 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। उन्होंने यह अपील भी की कि यदि किसी पीड़ित को सहायता मिलने में देरी हो रही है या कोई कठिनाई आ रही है, तो संबंधित जिला कलेक्टर को सूचित करें, ताकि उचित कार्रवाई करके तत्काल राहत दी जा सके। सरकार का उद्देश्य है कि आपदा की स्थिति में प्रभावितों को त्वरित, पारदर्शी और प्रभावी सहायता उपलब्ध कराई जाए।