Wednesday, July 9, 2025
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नंदुरबार तेल मिलावट कांड: दो एफडीए अधिकारी निलंबित, मिलावटी तेल फैक्ट्री बंद करने के आदेश; विधानसभा में खाद्य मंत्री नरहरि जिरवाल ने दी जानकारी

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को राज्य के खाद्य व औषध प्रशासन(एफडीए) मंत्री नरहरि जिरवाल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि नंदुरबार जिले में बार-बार मिलावट करते पाए गए एक खाद्य तेल कारखाने को तत्काल बंद किया जाएगा और मामले में लापरवाही बरतने वाले एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) के दो वरिष्ठ अधिकारियों- संयुक्त आयुक्त और सहायक आयुक्त को निलंबित किया जाएगा। यह कार्रवाई शिवसेना विधायक अमश्य पडवी द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के जवाब में की गई, जिसमें उन्होंने अक्कलकुवा स्थित कारखाने द्वारा बार-बार तेल में मिलावट करने और फिर भी उस पर कोई सख्त कार्रवाई न होने की ओर ध्यान दिलाया। विधायक समीर कुनावर ने पूरक प्रश्न में बताया कि हाल ही में सोयाबीन और मूंगफली तेल के जो नमूने अक्कलकुवा की उसी फर्म ‘गोपाल प्रोविजन’ से लिए गए थे, वे जांच में मिलावटी पाए गए, बावजूद इसके संबंधित एफडीए अधिकारी निष्क्रिय रहे। मंत्री जिरवाल ने स्वीकार किया कि 10 मार्च को एफडीए अधिकारियों ने उक्त कारखाने से माहिका ब्रांड का रिफाइंड सोयाबीन तेल और कमला ब्रांड का मूंगफली तेल नमूने के तौर पर लिए थे, जो बाद में जांच में खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए। इन नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट मैसूरु स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI) से प्राप्त हुई थी। मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024–25 के दौरान नंदुरबार जिले से कुल 12 खाद्य तेल नमूने एकत्र किए गए थे, जिनमें से 5 नमूने घटिया गुणवत्ता के पाए गए। इनमें से 2 मामलों में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही शुरू की जा चुकी है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूरी थी और इसलिए दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा है। इस बीच विधानसभा में कांग्रेस नेता नाना पटोले ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में चावल की खरीद और वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। इस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने निर्देश दिया कि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मौजूदा सत्र के अंत तक सदन में प्रस्तुत की जाए। अंत में, मुंबई में उमरखड़ी पुनर्विकास समिति के अंतर्गत आने वाली 81 इमारतों के पुनर्विकास की समीक्षा के लिए वास्तुकारों और वित्तीय विशेषज्ञों का एक विशेष पैनल नियुक्त किया गया है। यह पैनल तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देगा, जिसके आधार पर सरकार आगे का निर्णय लेगी।

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