मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने दक्षिणपंथी समूह सनातन संस्था का सदस्य होने और पुणे में ‘सनबर्न’ महोत्सव को निशाना बनाने के लिए देसी बम बनाने के आरोपों में गिरफ्तार किए गए 44 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने 20 सितंबर को वैभव राउत को यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह पांच साल से जेल में है और मुकदमा जल्द खत्म होने के आसार नहीं हैं। इस आदेश की जानकारी शुक्रवार को उपलब्ध करायी गयी। पीठ ने यह भी कहा कि राउत के खिलाफ अभियोजन पक्ष के इस आरोप की पुष्टि नहीं हुई है कि उसने बम बनाए थे। पीठ ने इस बात पर गौर किया कि जिस गोदाम से बम बरामद किए गए, वह राउत का नहीं था। एक सह-आरोपी को जमानत देने वाले पूर्व के एक आदेश के आधार पर पीठ ने कहा कि सनातन संस्था को केंद्र ने प्रतिबंधित या आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया है। राउत को महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने मुंबई के बाहरी इलाके नालासोपारा में एक गोदाम से देसी बम कथित तौर पर बरामद होने के बाद गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून, भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत 2018 में गिरफ्तार किया था। जमानत याचिका में राउत की वकील सना रईस खान ने दलील दी कि मामले में तीन अन्य आरोपियों को जमानत दी जा चुकी है। खान ने कहा कि जिस गोदाम से देसी बम बरामद हुए वह किसी और व्यक्ति का था न कि राउत का था। अभियोजन का आरोप है कि राउत और अन्य आरोपी दक्षिणपंथी समूह सनातन संस्था के सदस्य थे जिसका उद्देश्य महाराष्ट्र तथा आसपास के राज्यों में गुपचुप तरीके से एक आतंकवादी गिरोह बनाकर एक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाना है। उसने आरोप लगाया कि आरोपियों ने देसी बम इकट्ठे किए और बनाए जिनका इस्तेमाल पुणे में ‘सनबर्न’ महोत्सव में किया जाना था और इन विस्फोटकों को राउत के आवास तथा गोदाम में रखा। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि राउत उस आवास या गोदाम का मालिक नहीं है जहां से बम कथित तौर पर बरामद किए गए। उसने कहा कि मुकदमे में सुनवाई निकट भविष्य में खत्म होने की संभावना नहीं है। राउत ने एक विशेष अदालत द्वारा दिसंबर 2022 में अपनी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद इस साल जनवरी में उच्च न्यायालय का रुख किया था।