
मुंबई। विधान परिषद में नगर परिषदों द्वारा संपत्ति कर की दरों को लेकर उठे सवालों के बीच नगर रचना मंत्री उदय सामंत ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार नगर परिषदें तय अधिकतम और न्यूनतम सीमा से अधिक दर पर कर नहीं लगा सकतीं। उन्होंने बताया कि राज्य की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में कर संग्रह को लेकर सर्वेक्षण कराया जाएगा। यह बयान उन्होंने सदस्य धीरज लिंगड़े द्वारा नोटिस क्रमांक 496 के तहत पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए दिया। इस चर्चा में सदस्य भाई जगताप, सतेज पाटिल, प्रसाद लाड, अभिजीत वंजारी, सदाभाऊ खोत और शशिकांत शिंदे ने भी हिस्सा लिया। मंत्री सामंत ने जानकारी दी कि राज्य में ए श्रेणी की 15, बी श्रेणी की 75, सी श्रेणी की 158 नगर परिषदें और 147 नगर पंचायतें हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संपत्ति कर नगर परिषदों की वित्तीय आय का प्रमुख स्रोत है, जिसे विशेष आम बैठक में पारित प्रस्ताव के माध्यम से तय किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर कर की दरों को लेकर जो असंतोष व्यक्त किया जा रहा है, वह स्थानीय निकायों की स्वीकृत सीमाओं के बाहर कर लगाए जाने से जुड़ा नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई वैधानिक प्रावधान ही मौजूद नहीं है। उदाहरण के लिए, बी श्रेणी की नगर परिषदों में कर की अधिकतम दर 27 प्रतिशत और न्यूनतम 22 प्रतिशत तय है, जबकि सी श्रेणी की परिषदों में अधिकतम 26 प्रतिशत और न्यूनतम 21 प्रतिशत है। सामंत ने स्पष्ट किया कि नागपुर नगर निगम, जो एक अलग श्रेणी में आता है, वहां सामान्य कर निगम की साधारण सभा द्वारा स्वीकृत दर पर लगाया गया है, और वाणिज्यिक भवनों पर आवासीय भवनों से अधिक कर लगाना भी अनुमेय है। मंत्री ने आश्वस्त किया कि कर संग्रह से प्राप्त आय का उपयोग स्थानीय विकास कार्यों, कर्मचारियों के वेतन, और अन्य नागरिक सेवाओं पर किया जाता है। हालांकि, यदि किसी स्थान पर नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो उसकी जांच और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। यह वक्तव्य स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार नगर परिषदों में पारदर्शी और न्यायसंगत कर प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए सर्वेक्षण और निगरानी प्रक्रिया को सख्ती से लागू करेगी, ताकि नागरिकों पर अनुचित कर भार न डाला जाए।