Munich : यूरोप की एयरोस्पेस कंपनी एयरबस कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के अपने प्रयासों के तहत भारत, ऑस्ट्रेलिया और लातिन अमेरिका जैसे बाजारों से हरित हाइड्रोजन लेगी। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बताया।
एयरबस अपने महत्वाकांक्षी शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले विमान के लिए मौजूदा समय में हाइड्रोजन से चलने वाले ईंधन सेल इंजन विकसित कर रही है। यह विमान 2035 तक परिचालन में आएगा। कंपनी ने फ्रांस के ‘टोलोज-ब्लेन्येक हवाई अड्डे’ में कम कार्बन वाले हाइड्रोजन उत्पादन एवं वितरण स्टेशन की स्थापना के लिए हाइपोर्ट के साथ एक साझेदारी समझौता किया है।
एयरबस में उपाध्यक्ष (शून्य उत्सर्जन विमान) ग्लेन लेवेलिन ने कहा कि भारत और लातिन अमेरिका समेत अन्य देशों में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की लागत इन्हें संभावित आपूर्ति केंद्र के लिहाज से आकर्षक स्थल बनाती है।
यहां एयरबस समिट 2022 से इतर लेवेलिन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एयरबस में जो महत्वपूर्ण गतिविधियां चल रही हैं उनमें से एक यह सुनिश्चित करने के लिए है कि जब हमारे पास हाइड्रोजन से चलने वाला विमान आए तब हवाई अड्डों पर हरित हाइड्रोजन भी उपलब्ध हो। हम विभिन्न हवाई अड्डों और दुनियाभर के ऊर्जा प्रदाताओं के साथ मिलकर बहुत सारा काम कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि जब भी हमें हरित हाइड्रोजन की जरूरत पड़े, तब यह सही दाम पर हमें मिल जाए।’’
टोलोज-ब्लेन्येक हवाई अड्डे पर हाइड्रोजन स्टेशन 2023 में शुरू हो जाएगा और यहां प्रतिदिन 400 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन होगा।
लेवेलिन ने कहा कि आज की तारीख में कोई भी विमान हाइड्रोजन से चलने वाला नहीं है लेकिन हम हवाई अड्डे की गतिविधियों को कार्बन मुक्त करने के लिए तो हाइड्रोजन का इस्तेमाल कर ही सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस पर विचार कर रहे हैं कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और लातिन अमेरिका जैसे स्थानों से हाइड्रोजन किसी प्रकार ली जा सकती है, जहां हाइड्रोजन उत्पादन की लागत दिलचस्प है।’’
हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में देश को एक प्रमुख स्थल बनाने के विचार के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2021 को राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू किया था। इस पहल के तहत लक्ष्य है देश में 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना।
लेवेलिन ने कहा, ‘‘भारत एक बढ़िया स्थान है जहां हरित हाइड्रोजन के ठीकठाक लागत पर उत्पादन की बड़ी संभावनाएं हैं।’’