
मुंबई। क्राइम ब्रांच यूनिट 12 ने सोमवार को गोरेगांव स्थित एक गैर-कानूनी कॉल सेंटर पर छापेमारी कर विदेशी नागरिकों को निशाना बनाने वाले बड़े साइबर घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस कॉल सेंटर से पीड़ितों को एंटीवायरस सॉफ्टवेयर रिन्यूअल के नाम पर ठगा जाता था। जांच में सामने आया कि आरोपी फर्जी ईमेल भेजते थे, जिन्हें असली एंटीवायरस अलर्ट बताया जाता था। पीड़ित जब इस पर प्रतिक्रिया देते, तो उन्हें 250 से 500 अमेरिकी डॉलर तक के गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए मजबूर किया जाता था। बाद में ये कार्ड क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिए जाते थे, जिससे धोखाधड़ी का पता लगाना लगभग असंभव हो जाता था। यह रैकेट मुख्य रूप से विदेशी नागरिकों को निशाना बनाता था, जो इस तरह की चालाकियों से अनजान थे। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ठगों का मकसद यूज़र्स को डराना था कि उनकी कंप्यूटर सिक्योरिटी एक्सपायर हो चुकी है और उन्हें तुरंत भुगतान करना होगा। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 15 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 10 लैपटॉप और 20 मोबाइल फोन जब्त किए। सिस्टम से मिले दस्तावेज़ों और डेटा की जांच की जा रही है ताकि धोखाधड़ी के पैमाने और अन्य संभावित पीड़ितों की पहचान हो सके। इस मामले में कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें दो मालिक, एक मैनेजर और 10 टेली-कॉल एजेंट शामिल हैं।
साइबर अपराध के खिलाफ सख्ती
मुंबई पुलिस ने कहा कि यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले साइबर फ्रॉड नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही पुलिस ने साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए नागरिकों से **सतर्क रहने और संदिग्ध ईमेल/संदेशों से बचने की अपील की है।