
ठाणे। महाराष्ट्र के ठाणे में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) को सड़क हादसे में मारे गए मुंबई पुलिस के कांस्टेबल गिरीश अशोक हरद के परिवार को 1.12 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह दुर्घटना 2022 में उस समय हुई थी जब कांस्टेबल हरद रात की ड्यूटी के लिए स्कूटर से जा रहे थे और ठाणे जिले के सोनावाले गांव के पास एक तेज़ रफ्तार एमएसआरटीसी बस उनकी गाड़ी से टकरा गई थी। उन्हें गंभीर चोटें आईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। एमएसीटी सदस्य आर.वी. मोहिते की अध्यक्षता में शुक्रवार को पारित आदेश में कहा गया कि यह मुआवजा पुरस्कार की तारीख से एक महीने के भीतर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर सहित दिया जाए। मृतक कांस्टेबल हरद उस समय हर महीने 58,822 रुपए कमा रहे थे। मुआवजे के लिए याचिका उनकी पत्नी, नाबालिग बेटी, माता-पिता और अविवाहित बहन ने दायर की थी, जो उनकी आय पर निर्भर थे। एमएसआरटीसी की ओर से पेश अधिवक्ता एच.पी. पाटिल ने दावा किया कि हादसा पूरी तरह कांस्टेबल की लापरवाही के कारण हुआ, क्योंकि उनका स्कूटर तेज़ रफ्तार में विपरीत दिशा से आकर फिसल गया था। लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता एम.ए. पेंडसे ने एफआईआर, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चार्जशीट जैसे मजबूत दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए।न्यायाधिकरण ने यह मानते हुए कि सड़क गीली थी और दोनों पक्षों को सावधानी बरतनी चाहिए थी, यह तय किया कि दुर्घटना में बस चालक की 80% और कांस्टेबल की 20% सहभागी लापरवाही थी। इसी के आधार पर मुआवजे का निर्धारण किया गया, जिसमें भविष्य की आय की हानि ₹72.73 लाख, भविष्य की संभावना ₹36.36 लाख, स्नेह की हानि ₹2 लाख, संपत्ति की हानि 15,000 रुपए अंतिम संस्कार व्यय 15,000 रुपए और प्रेम व लगाव की हानि 1.5 लाख रुपए शामिल है। मुआवजा वितरण के अनुसार, कांस्टेबल की पत्नी को 60.90 लाख रुपए, तीन वर्षीय बेटी को 44 लाख रुपए, माता-पिता को 3-3 लाख रुपए और बहन को 2 लाख रुपए दिए जाएंगे। साथ ही न्यायाधिकरण ने यह भी आदेश दिया कि मृतक की पत्नी के 25 लाख रुपए पांच वर्षों के लिए और बेटी की पूरी राशि उसके बालिग होने तक राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा के रूप में रखी जाए।