
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 29 अक्टूबर को वरानियम क्लाउड लिमिटेड, उसके प्रमोटर हर्षवर्धन सबले और इससे जुड़ी कंपनियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत सर्च ऑपरेशन किया। ईडी के मुताबिक, खुफिया जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई, जिसमें वित्तीय रिकॉर्ड में हेरफेर, फंड का सर्कुलर मूवमेंट और अपराध से प्राप्त पैसे की लॉन्ड्रिंग का पता चला। ऑपरेशन के दौरान 400 से ज़्यादा चेक बुक, 200 सिम कार्ड और 100 से अधिक मोबाइल फोन बरामद किए गए, जो कथित तौर पर फर्जी केवाईसी डॉक्यूमेंट्स से खोले गए फर्जी बैंक खातों से जुड़े थे। इसके अलावा लैपटॉप, हार्ड ड्राइव और अन्य डिजिटल सबूत भी ज़ब्त किए गए। वरानियम क्लाउड लिमिटेड और इसकी ग्रुप कंपनियों ने सितंबर 2022 में एक आईपीओ के जरिए लगभग 40 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने दावा किया था कि फंड का इस्तेमाल छोटे शहरों में एज डेटा सेंटर और डिजिटल लर्निंग हब बनाने के लिए किया जाएगा। हालांकि, अधिकारियों ने पाया कि वादे किए गए प्रोजेक्ट पूरे नहीं किए गए और आईपीओ से जुटाए गए पैसे को फर्जी ट्रांजैक्शन के जरिए कंपनी के टर्नओवर और मार्केट वैल्यू को आर्टिफिशियली बढ़ाने के लिए डायवर्ट किया गया। ईडी का शक है कि फर्म “पंप एंड डंप” स्कीम में शामिल थी, जहां शेयरों की कीमत को गुमराह करने वाले दावों से बढ़ाकर दिखाया गया और फिर उच्च कीमत पर बेचा गया, जिससे रिटेल निवेशकों को नुकसान हुआ। बरामद डेटा के एनालिसिस से पता चला कि मुंबई में छोटे-छोटे ऑफिस से बड़ा फाइनेंशियल रैकेट चल रहा था, जिसमें ड्रॉअर कंपनियों का इस्तेमाल फर्जी ट्रांजैक्शन की लेयर बनाने के लिए किया जाता था। जांच का मकसद डायवर्ट किए गए फंड के असली लाभार्थियों और उनके बिचौलियों की भूमिका का पता लगाना है। ईडी द्वारा बरामद डेटा का फोरेंसिक एनालिसिस जारी है और आगामी दिनों में और ज़ब्तियाँ और संभावित गिरफ्तारी की उम्मीद है।



