
एक विदेशी शिक्षा केंद्र से बड़ी डिग्री लेकर भारतीय राजनीति में आया नौजवान, जिसे भाजपा ने पप्पू नाम दिया। बदनाम करने के लिए न जाने क्या क्या कहा। पचास करोड़ की गर्ल फ्रेंड। आलू से सोना बनाने वाला। संसद में अनुपस्थित रहकर विदेश घूमने वाला। जिसके गांधी होने पर तंज कसे गए। जिसे टूल किट गैंग ने मंद बुद्धि कहा। वही राहुल गांधी आज अकेले पूरे भाजपा दल को चकरघिन्नी बनाकर नचाने लगा है। महिला आरक्षण बिल जिसका नाम बदलकर संसद में लाया गया बिल। पेपर दिखाते हुए जब बोलने लगा तो विश्वगुरू ही नहीं चाणक्य को भी सांप सूंघ गया। बीजेपी अपनी बहुमत वाली सरकार के मद में चूर राहुल गांधी भाग गया जैसी अभद्रता के नारे लगाए जाना संसदीय इतिहास में कालिमा लगा गया। बीजेपी के बिल में ओबीसी का कोई जिक्र ही नहीं। जनगणना और परिसीमन के बाद 2026 के पहले लागू नहीं हो पानेवाला आरक्षण लोकसभा में पास हो गया। स्मृति ईरानी जो उलजुलुल बोलने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने गलत बयानी की और कहा कांग्रेस महिला आरक्षण के खिलाफ है। सोनिया गांधी ने जवाब में हम सहयोग करेंगे कहकर जोरदार तमाचा मारा जिसकी गूंज संसदीय इतिहास में गूंजती रहेगी। राहुल गांधी ने लिस्ट दिखाते हुए कहा, भाजपा बताए कि केंद्र में नब्बे सचिवों में केवल तीन ओबीसी क्यों हैं। बिल में ओबीसी कोटा क्यों नहीं है? सरकार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। 1977 में कांग्रेस बुरी तरह जारी थी। आजमगढ़ की सीट से मोहसिना किदवई को उतारा गया कांग्रेस की ओर से। इंदिरा गांधी को सर्किट हाउस ही नहीं किसी होटल में भी जगह नहीं मिली ठहरने को। मंदिरों में रूकती। जनता से कहती मैं चुनाव जीतने, नहीं आपकी नाराजगी दूर करने आई हूं। भावनात्मक अपील का असर हुआ मोहसिना एक लाख से अधिक वोटों से जीत गईं। राहुल की भारत जोड़ों पदयात्रा में बड़े बुजुर्ग पुरुष महिलाएं बच्चियां उन्हें आलिंगन करती,अपनापन पाती। राहुल दिल जीतने निकले थे। गैरेज में मिस्त्री को काम करते, खेतों में धान रोपते, सब्जी मंडी में गरीब फुटकर विक्रेता से मिलना,उसे अपने घर बुलाना, सहायता करना क्या दिल नहीं जीतेगा? महाराष्ट्र निवासी मजदूर महिला कलावती की फोटो डालकर मोदी द्वारा आवास देने का ढिंढोरा खूब पीटा गया। राहुल उससे मिले। पत्रकार भी मिले उसने बीजेपी द्वारा कुछ मिलने से इंकार कर दिया। जबकि राहुल के वापस जाने पर कांग्रेस ने उसकी सहायता की। अभी कल ही राहुल गांधी रेलवे स्टेशन का पहुंचे कुली वेश में। सूतकेश सिर पर रख ढोने लगे। कुलियों ने राहुल गांधी की जय जय कारे लगाए। तो क्या राहुल ने उनका दिल नहीं जीत लिया होगा?
राहुल गांधी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। वे सचमुच नफ़रत के माहौल में मोहब्बत की दूकान खोल चुके हैं। स्त्रियों के प्रति उनकी संवेदना तब दिखी जब सरकार द्वारा तीन महीने से जल रहे मणिपुर के पीड़ितों से मिलने पहुंचे और हजारों पीड़ितों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने का काम किया। उनकी वाकपटुता ,सच्चाई के प्रति ईमानदारी और निडरता तब दिखी जब साजिशन उन्हें फर्जी मानहानि मामले में कोर्ट द्वारा दो साल की सजा मिली जिसे हाईकोर्ट ने डिट्टो कर दिया।बीजेपी सरकार ने चौबीस घंटे में उनकी संसद सदस्यता छिन ली। उनसे माफी मांगने की बीजेपी ने मांग की तब प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने दो टूक शब्दों में घोषणा की माफी नहीं मांगूंगा। सावरकर नहीं मैं राहुल गांधी हूं। जेल चला जाऊंगा लेकिन माफी नहीं मागूंगा। बहुत समय तक वे सस्पेंस बनाए रखे जिससे बीजेपी सरकार और पार्टी परेशान हो गई। राहुल गांधी खुलेआम बोलते रहे मर जाऊंगा माफी नहीं मागूंगा और अदानी का नाम लेकर सवाल पूछता रहूंगा।महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार को लाज़वाब कर दिया।उनके ओबीसी मामले ने बीजेपी की मानों लंका ही जला दी। ऐसे में राहुल गांधी को भांप पाना मुश्किल है। क्योंकि अपार सहनशीलता के पुंज हैं राहुल गांधी। याद होगा अनगिनत बार खुद मोदी ने राहुल, उनकी बहन, माता पिता, दादा दादी और परनाना जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ क्या क्या आरोप नहीं लगाए? अपमानित नहीं किया लेकिन भगवान आशुतोष की ही भांति सारा गरल पी लिया जनता की सेवा के निमित्त। एक शब्द भी पलट कर नहीं कहा। इससे बड़ी महानता क्या होगी? कर्मवीर कर्म से उत्तर देते हैं। कर्नाटक चुनाव में डबल इंजन की सरकार ने अपने सारे संसाधन और दौलत झोंक दी परंतु हार मिली।आगे पांच राज्यों के चुनाव में प्रमुख भूमिका राहुल गांधी की ही होगी। इंडिया बन जाने के बाद तो राहुल की ताकत बहुत अधिक बढ़ गई।जन हित में त्याग की बात कहकर राहुल ने देशवासियों का दिल जीत लिया।