
मुंबई। मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार के साथ समझौते के बाद मुंबई के आज़ाद मैदान में अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया। कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने स्वयं उन्हें फलों का रस पिलाकर अनशन तोड़ने का आग्रह किया और उपस्थित भीड़ से शांति बनाए रखते हुए अपने-अपने गांव लौटने की अपील की। इस भावुक क्षण में जरांगे की आंखों से आंसू छलक पड़े। विखे पाटिल ने इस दिन को महाराष्ट्र के लिए ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और घोषणा के साथ ही प्रदर्शन स्थल पर जश्न का माहौल छा गया। समर्थकों को नाचते, गाते और खुशी का इजहार करते हुए देखा गया। अनशन समाप्त करने से पहले सरकार और जरांगे के बीच कैबिनेट उप-समिति के साथ विस्तृत चर्चा हुई। मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, शिवेंद्रसिंह भोसले, उदय सामंत और माणिकराव कोकाटे की मौजूदगी में हुई इस बैठक में सरकार ने पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने सहित उनकी प्रमुख मांगें स्वीकार कर लीं। मनोज जरांगे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, हम जीत गए हैं। उनकी इस घोषणा के बाद हजारों समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। यह निर्णय मराठा आरक्षण आंदोलन के लिए एक अहम मोड़ माना जा रहा है।