जालना। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल आरक्षण के लिए पिछले 9 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं। हालांकि राज्य सरकार मनोज जरांगे की भूख हड़ताल खत्म करवाने के लिए तमाम प्रयास कर रही हैं। इस बीच आज (बुधवार) अनशन के नौवें दिन जरांगे की तबीयत बिगड़ गई है। डॉक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य पर नजर बनाये हुए है। मिली जानकारी के मुताबिक, जालना जिले के अंबड तालुका के अंतरवाली सराटी गांव में मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर बैठे है। आज उनके अनशन का नौवां दिन है। पिछले आठ दिनों से मनोज जरांगे के पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं गया है। तबियत खराब होने के बाद भी मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने का उनका संकल्प अडिग है। मंगलवार को राज्य सरकार का प्रतिनिधिमंडल उनसे चर्चा करने के लिए प्रदर्शन स्थल पर गया था, लेकिन जरांगे इस बात पर अड़े हैं कि जब तक मराठा आरक्षण का जीआर नहीं आ जाता, तब तक वे भूख हड़ताल वापस नहीं लेंगे। हालांकि आज 9वें दिन मनोज जरांगे की हालत बिगड़ गई है और डॉक्टरों ने उन्हें सलाइन लगाई है। मराठा आंदोलन की पहचान बन चुके मनोज जरांगे कल शाम से ही अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। डॉक्टर लगातार उनकी निगरानी कर रहे थे। इससे न केवल मराठा आंदोलनकारियों में बेचैनी बढ़ गयी है, बल्कि सीएम एकनाथ शिंदे नीत सरकार की भी टेंशन बढ़ गयी है। मंगलवार को मंत्री गिरीश महाजन, पालक मंत्री अतुल सावे, मंत्री संदीपन भुमरे, पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर, विधायक राजेश टोपे, विधायक नारायण कुचे, सतीश घाटगे ने अनशन स्थल पर पहुँच कर मनोज जरांगे से सकराम्त्मक चर्चा की। उन्हें मराठा आरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदम से अवगत कराया। शिंदे सरकार की ओर से महाजन ने कहा, सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए 30 दिन दीजिए, तकनीकी दिक्कतें हैं, हमारी कमिटी करीब 15 दिन में समाधान ढूढने में सफल हो सकती है, आप भी मुंबई आएं और कमेटी की मदद करें। हालांकि, मनोज जरांगे ने मुंबई आने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘विदर्भ को कुनबी मराठों को आरक्षण मिलता है तो आपको मराठवाडा को भी वैसे आरक्षण देना चाहिए। आरक्षण देना सरकार के हाथ में है। आपकी बात सुनने के बाद कई बार आंदोलन वापस लिया गया है। अब बिना आरक्षण लागू किये हम पीछे नहीं हटेंगे। मैं किसी को नाराज नहीं करना चाहता। मैं यहां शांति से बैठा हूं, किसी को कुछ नहीं कहूँगा। आरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री और सचिव के हस्ताक्षर वाला अध्यादेश जारी करें, इसके लिए चार दिन का समय और ले लीजिये। तब मैं आपका स्वागत करुंगा और अपना अनशन खत्म करूँगा।’