नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रपति भवन ने जी २० रात्रिभोज के लिए निमंत्रण भेजा था, निमंत्रण में ‘प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखा था। इसके लेकर सबसे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल खड़े किए। इसके बाद तमाम विपक्षी दलों ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। पूरे मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि यह भलीभांति ज्ञात है कि ‘इंडिया’ ही भारत है तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि आधिकारिक संदेश में देश का उल्लेख करते हुए केवल ‘भारत’ का इस्तेमाल करने की जरूरत आ पड़ी। ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ (भारत के राष्ट्रपति) के नाम से जी २० के रात्रिभोज के लिए निमंत्रण पत्र को लेकर उठे विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि दुनिया देश को ‘इंडिया’ के नाम से जानती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर किसी पार्टी का गठबंधन ‘इंडिया’ बन जाता है तो वे (भाजपा) देश का नाम बदल देंगे? देश १४० करोड़ लोगों का है, किसी एक पार्टी का नहीं। उन्होंने कहा कि अगर कल इंडिया गठबंधन का नाम बदलकर भारत रख लिया जाता तो क्या वे (भाजपा) भारत का नाम भी बदल देंगे? भाजपा के वोट कम ना हो जाएं इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं। यह देश के साथ गद्दारी है। डीएमके संसदीय दल के नेता टी.आर.बालू ने कहा कि हमें इससे कोई आशंका नहीं होनी चाहिए क्योंकि संविधान में पहले से ही भारत का इस्तेमाल है। अगर राष्ट्रपति ने ‘भारत’ के नाम से (जी-२० देशों को) न्योता भेजा है तो मुझे नहीं लगता इस पर कोई दिक्कत होनी चाहिए।
भाजपा का जवाब
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को देश के सम्मान एवं गौरव से जुड़े हर विषय से इतनी आपत्ति क्यों है? भारत जोड़ो के नाम पर राजनीतिक यात्रा करने वालों को ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष से नफरत क्यों है? स्पष्ट है कि कांग्रेस के मन में न देश के प्रति सम्मान है, न देश के संविधान के प्रति और न ही संवैधानिक संस्थाओं के प्रति। उसे तो बस एक विशेष परिवार के गुणगान से मतलब है। कांग्रेस की देश विरोधी एवं संविधान विरोधी मंशा को पूरा देश भलीभांति जानता है। राष्ट्रपति भवन में जी २० शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज का निमंत्रण ‘भारत के राष्ट्रपति’, के नाम से भेजे जाने पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह बहुत पहले होना चाहिए था। यह बहुत संतोष देने वाला है। भारत हमारा परिचय है। इसे लेकर हम गौरान्वित है। मुझे विश्वास है कि देश बहुत खुश होगा कि राष्ट्रपति ने भारत के नाम को प्राथमिक दी। यह दासत्व की मानसिकता से बाहर आने वाला सबसे बड़ा बयान है।