मुंबई। मुंबई में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बार-बार चेतावनी के बावजूद पेश नहीं होने पर सोमवार को जमानती वारंट जारी किया है। ठाकुर और छह अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज है। एनआईए अदालत वर्तमान में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है। विशेष अदालत ने इससे पहले आरोपियों को सुनवाई के लिए उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था। विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने सोमवार को ठाकुर के खिलाफ 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया और जांच एजेंसी को 20 मार्च तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। न्यायाधीश ने पिछले माह ठाकुर को चेतावनी दी थी कि यदि वह अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं हुईं तो उनके खिलाफ ‘‘उचित कार्रवाई’’ की जाएगी। मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता कर रहा था, लेकिन 2011 में मामला एनआईए को सौंप दिया गया।
बयान दर्ज करने के दौरान भावुक हुई थी प्रज्ञा ठाकुर
गौरतलब है कि पिछले साल मालेगांव विस्फोट मामले में बयान दर्ज के दौरान भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर सवालों के जवाब देते हुए भावुक हो गई थी। विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत उनके बयानों को दर्ज कर रहा था। ट्रायल कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत मामले में प्रज्ञा ठाकुर समेत छह आरोपियों के बयान दर्ज करना शुरु किए था। इस दौरान उन्हें कही कठिन सवालों से गुजरना पड़ा। घायलों का इलाज करने और शव परीक्षण करने वाले डॉक्टरों की गवाही से जुड़े करीब 60 सवाल आरोपियों से पूछे गए थे। इसके बाद भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर भावुक हो गई।