
मुंबई। समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और महाराष्ट्र राज्य इकाई के प्रमुख अबू आज़मी को मुंबई की एक अदालत ने मंगलवार को औरंगज़ेब टिप्पणी मामले में अग्रिम ज़मानत दे दी। ज़मानत की शर्तों के तहत, सपा विधायक को 20,000 रुपये का सॉल्वेंट ज़मानत बांड जमा करना होगा। अदालत ने आज़मी को 12, 13 और 15 मार्च को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होने का भी निर्देश दिया है, साथ ही उनसे मामले से जुड़े किसी भी सबूत से छेड़छाड़ न करने की सख्त हिदायत दी गई है। इससे पहले दिन में अबू आज़मी ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट एक्स पर छत्रपति संभाजी महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “स्वराज्य के दूसरे छत्रपति, एक शक्तिशाली योद्धा और वीर छत्रपति संभाजी महाराज को उनके बलिदान दिवस पर विनम्र अभिवादन किया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तुलना औरंगजेब से कर दी थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अबू आज़मी ने कहा था कि औरंगजेब “क्रूर प्रशासक” नहीं था और उसने “कई मंदिर बनवाए थे।” उन्होंने यह भी कहा था कि मराठा शासक और औरंगजेब के बीच लड़ाई राज्य प्रशासन के लिए थी, न कि धर्म के लिए। हालांकि, बाद में उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने अपनी व्यक्तिगत राय नहीं दी थी, बल्कि इतिहासकारों और लेखकों द्वारा लिखे गए तथ्यों को दोहराया था। इस बयान के कारण महाराष्ट्र विधानसभा में हंगामा हुआ और सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर अबू आज़मी को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, कोर्ट से मिली अग्रिम ज़मानत ने उन्हें राहत दी है।