
मुंबई। देश भर में फैले ड्रग्स नेटवर्क का धागा अब पाकिस्तान तक जुड़ गया है। क्राइम ब्रांच यूनिट-3 ने खुलासा किया है कि राजस्थान बॉर्डर के पास स्थित पाकिस्तान के एक छोटे से गाँव से भारत में ड्रग्स की तस्करी की जा रही थी। हाल ही में विरार में हुए एक बड़े ऑपरेशन में 8 करोड़ रुपये की हेरोइन बरामद की गई, जिसके बाद इस रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। वसई-विरार और मीरा-भायंदर क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती ड्रग्स तस्करी पर रोक लगाने के लिए पुलिस कमिश्नर निकेत कौशिक के मार्गदर्शन में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 11 सितंबर को विरार क्राइम ब्रांच यूनिट-3 की टीम ने फादरवाडी रेंगनका रोड स्थित श्रीपाल टावर में जाल बिछाकर तीन आरोपियों—समुद्रसिंह देवड़ा (49), युवराजसिंह राठौड़ (28) और तकतसिंह राजपूत (38) को गिरफ्तार किया। इनके पास से 2 किलो 11 ग्राम हेरोइन बरामद हुई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 8 करोड़ 4 लाख रुपये आँकी गई है। आरोपियों के खिलाफ वालिव पुलिस स्टेशन में एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। आगे की जांच में इस नेटवर्क के मुख्य सरगना हरिसिंह तेजसिंह रावलोटी भाटी (55) को राजस्थान के सिरोही से पकड़ा गया। पुलिस के अनुसार हरिसिंह पाकिस्तान बॉर्डर से लगे सतू गाँव का निवासी है और उसका संपर्क सीधे पाकिस्तान में सक्रिय ड्रग सप्लायरों से था। क्राइम ब्रांच यूनिट-3 के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर शाहूराज रनावरे ने बताया कि आरोपी जैसलमेर बॉर्डर के रास्ते भारत में हेरोइन की तस्करी करता था। बरामद हेरोइन की कीमत 8 करोड़ रुपये से अधिक आँकी गई है। इस कार्रवाई को पुलिस इंस्पेक्टर रनावरे, एपीआई सुहास कामबले और उनकी टीम ने अंजाम दिया। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि तेलंगाना से मीरा-भायंदर और वसई-विरार में ड्रग्स की सप्लाई हो रही थी। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने तेलंगाना में छापेमारी कर ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्रियों को ध्वस्त कर दिया और 6,000 किलोग्राम मेफेड्रोन ज़ब्त की, जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 12,000 करोड़ रुपये आँकी गई। यह अब तक पुलिस कमिश्नरेट के इतिहास का सबसे बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा है।