
मुंबई। महाराष्ट्र में नगर निगम, जिला परिषद और नगर पालिका जैसे स्थानीय निकाय चुनाव इस बार एक साथ नहीं बल्कि चरणबद्ध तरीके से कराए जाएंगे। साथ ही, चुनावों में वीवीपैट (वोट वेरिफिकेशन पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यह जानकारी राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने सोमवार को नासिक प्रभाग में हुई चुनाव पूर्व समीक्षा बैठक के बाद दी। उन्होंने बताया कि तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से वीवीपैट को शामिल नहीं किया जा रहा है, जिससे मतदाताओं को इस बार ईवीएम से मतदान तो करना होगा, लेकिन उन्हें उसकी कोई लिखित पावती नहीं मिलेगी। चुनाव आयुक्त के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार राज्य में चार महीनों के भीतर निकाय चुनाव कराना अनिवार्य है। इसी के तहत दिवाली के तुरंत बाद अक्टूबर के अंत से चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राज्य भर में एक साथ चुनाव कराने की प्रशासनिक चुनौती को देखते हुए आयोग ने इसे चरणबद्ध रूप में कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एससी-एसटी आरक्षण तय रहेगा, जबकि ओबीसी आरक्षण इस बार सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार लॉटरी प्रणाली पर आधारित होगा, जैसा कि पिछली बार किया गया था। वर्तमान चुनाव प्रक्रिया 1 जुलाई 2025 तक अद्यतन की गई मतदाता सूची के आधार पर संचालित होगी। वार्डों का पुनर्गठन भी चल रहा है और उसका अंतिम मसौदा जल्द जारी किया जाएगा। आयोग का यह निर्णय कि वीवीपैट मशीनों का उपयोग नहीं किया जाएगा, पारदर्शिता और मतदाता विश्वास के मुद्दों को लेकर बहस को जन्म दे सकता है, लेकिन फिलहाल चुनाव आयोग ने अपनी प्राथमिकताओं को साफ करते हुए समयसीमा के भीतर चुनाव संपन्न कराने पर ज़ोर दिया है।