
मुंबई। राज्य सरकार ने किसानों को खेतों तक पक्के रास्ते उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री बलिराजा पाणंद रस्ते’ योजना के तहत ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि योजना के तहत पणंद सड़कों के कार्यों को तेज करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विधायक की अध्यक्षता में एक समिति को सशक्त बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार दिवाली से पहले किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय ले रही है। राज्य स्तरीय बलिराजा शेत पणंद सड़क योजना की समीक्षा बैठक गुरुवार को मंत्री बावनकुले की अध्यक्षता में हुई। बैठक में रोजगार गारंटी योजना मंत्री भरत गोगावले, वित्त एवं योजना राज्यमंत्री एडवोकेट आशीष जायसवाल, विधायक संजय बनसोडे, सत्यजीत देशमुख, दिलीप बनकर, सुमित वानखेड़े, हेमंत पाटिल, राजेश क्षीरसागर, विट्ठल लांगे, अभिमन्यु पवार, उमेश यावलकर और समीर कुणावर सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एकनाथ दावले और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। विधायक रणधीर सावरकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया। मंत्री बावनकुले ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र स्तरीय समिति को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह अपने क्षेत्र में बनने वाली सड़कों का चयन करे और संबंधित एजेंसियों को सूची सौंपे। उन्होंने बताया कि इन कार्यों के लिए सीएसआर फंड और विभिन्न विभागीय योजनाओं से प्राप्त धनराशि का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए अलग लेखा शीर्ष तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साथ ही, गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से भी सड़क निर्माण कार्य किए जाएंगे। राजस्व मंत्री ने यह भी कहा कि योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने हेतु कई स्तरों पर समितियाँ गठित की जाएँगी, जिनका स्वरूप सरकार के निर्णय के अनुसार तय होगा। रोजगार गारंटी योजना मंत्री भरत गोगावले ने बताया कि योजना का क्रियान्वयन ग्राम स्तर पर शुरू हो रहा है और खेतों एवं पनंद की सड़कों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँगे। वित्त राज्य मंत्री एडवोकेट आशीष जायसवाल ने कहा कि बलिराजा खेत और पनंद सड़क अभियान के तहत सरकार प्रभावी कार्य सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान कर रही है। बैठक में उपस्थित विधायकों और सदस्यों ने भी अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित सुझाव दिए और योजना के क्रियान्वयन के दौरान आने वाली तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियों पर चर्चा की। अध्ययन समूह द्वारा प्रस्तुत प्रारूप योजना पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों की संपर्क सड़कों के सुधार, कृषि उत्पादन के परिवहन, और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।