
मुंबई। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों के बाद सियासी हलचल के बीच भाजपा नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में स्थित अवैध मस्जिदों और लाउडस्पीकरों के खिलाफ एक आक्रामक अभियान शुरू किया है। सोमैया ने इस अभियान को “इबादत की आड़ में लैंड जिहाद” करार दिया है, और दावा किया है कि इसके पीछे बड़ी साजिश और सुरक्षा से जुड़ा खतरा छिपा हुआ है।
सोमैया का आरोप: इबादत की आड़ में भूमि पर कब्जा
किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि मुंबई, भायंदर, नवी मुंबई, वसई-विरार, कल्याण-डोंबिवली, पनवेल सहित अन्य इलाकों में अवैध मस्जिदों की संख्या अचानक बढ़ी है, जो कथित रूप से ‘लैंड जिहाद’ का हिस्सा है। उनका कहना है कि इन अवैध संरचनाओं के जरिए कुछ समूह सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन मस्जिदों में अवैध लाउडस्पीकर लगाए गए हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों को असुविधा हो रही है। इसे उन्होंने शक्ति प्रदर्शन की संज्ञा दी।
72 मस्जिदों पर शिकायत, कई इलाकों का निरीक्षण
सोमैया ने गोवंडी के शिवाजी नगर इलाके में 72 मस्जिदों के लाउडस्पीकरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इससे पहले उन्होंने घाटकोपर पश्चिम और भांडुप स्थित मस्जिदों पर भी अतिक्रमण और सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने को लेकर आपत्ति जताई थी। उनका कहना है कि उन्होंने पुलिस और महानगरपालिका अधिकारियों के साथ घाटकोपर, भांडुप, विक्रोली, पवई और शिवाजी नगर जैसे इलाकों का दौरा भी किया है, और जल्द ही कार्रवाई की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय द्वारा विपक्षी गठबंधन (महाविकास आघाड़ी) के पक्ष में मतदान को लेकर बीजेपी की ओर से इसे ‘वोट जिहाद’ कहा जा रहा है। सोमैया ने संकेत दिया कि यह अभियान इसी पृष्ठभूमि में चलाया जा रहा है।
बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का भी आरोप
सोमैया ने दावा किया कि मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या बढ़ी है, जिन्होंने सरकारी दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी और पासपोर्ट बनवा लिए हैं। उन्होंने इसे मुंबई की जनसंख्या संरचना को बदलने की साजिश बताया और देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा कहा। हालांकि अभी तक विपक्षी दलों की ओर से इस मुद्दे पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जानकार मानते हैं कि यह विषय राजनीतिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर बहस को जन्म दे सकता है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी शीर्ष नेतृत्व से मिले निर्देशों के बाद यह अभियान चरणबद्ध रूप से महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में भी बढ़ाया जा सकता है। इसके तहत प्रशासन से अवैध निर्माणों को हटाने, दस्तावेजों की जांच और ज़मीन अतिक्रमण पर रिपोर्ट मांगी जा सकती है।