
मुंबई। 560 करोड़ रुपये के कर्नाला नगरी सहकारी बैंक घोटाले में एक अहम मोड़ पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम (एमपीआईडी) के तहत नियुक्त सक्षम प्राधिकारी को 386 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां वापस सौंप दी हैं। यह संपत्तियाँ अब नीलामी के लिए तैयार की जा रही हैं ताकि बैंक के 5 लाख से अधिक जमाकर्ताओं को मुआवजा दिया जा सके—जिनमें बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक और छोटे निवेशक शामिल हैं, जिन्होंने बैंक के पतन के बाद अपनी जीवन भर की बचत खो दी थी। इन संपत्तियों को पहले ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान अस्थायी रूप से कुर्क किया था। पनवेल और रायगढ़ जिलों में स्थित इन अचल संपत्तियों को फर्जी ऋणों और जाली दस्तावेजों के जरिए अर्जित किया गया था। जांच का आधार ईओडब्ल्यू, सीआईडी, पुणे द्वारा 17 फरवरी 2020 को दर्ज की गई प्राथमिकी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष विवेकानंद शंकर पाटिल और अन्य अधिकारियों ने 63 फर्जी ऋण खाते बनाकर 560 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। यह धन पाटिल द्वारा संचालित संस्थाओं कर्नाला चैरिटेबल ट्रस्ट और कर्नाला स्पोर्ट्स अकादमी—में स्थानांतरित किया गया और बाद में खेल परिसर, शिक्षा संस्थानों और निजी निवेशों में लगाया गया। ईडी ने पाटिल को 2021 में पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था और वे अब न्यायिक हिरासत में हैं। संबंधित संपत्तियों को 17 अगस्त 2021 और 12 अक्टूबर 2023 को दो चरणों में कुर्क किया गया था। मामले की वर्तमान सुनवाई विशेष पीएमएलए अदालत, मुंबई में चल रही है। 22 जुलाई 2025 को विशेष अदालत ने ईडी और परिसमापक के अनुरोध को मानते हुए, कुर्क संपत्तियों की नीलामी को मंजूरी दी। नीलामी से प्राप्त धनराशि का उपयोग बैंक के जमाकर्ताओं को मुआवजा देने में किया जाएगा। ईडी के अनुसार, बैंक के पतन के समय उसमें 553 करोड़ रुपए की जमा राशि थी, और धोखाधड़ी की वृहदता व सामाजिक प्रभाव को देखते हुए संपत्तियों की शीघ्र वापसी आवश्यक थी।