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भाट मीडिया और ढोंगी अज्ञानी बाबाओं ने भारतीय हिंदुओं को मिलकर खूब मूर्ख बनाया। पता नहीं किस आधार पर समुद्र मंथन से प्रयागराज में गंगा में डुबकी लगाकर पाप धोने और मोक्ष पाने के लिए हिंदुओं की श्रद्धा के साथ विश्वासघात किया गया। गोदी मीडिया चीख-चीख कर कह रही थी कि 144 साल बाद महाकुंभ आया है। शंकराचार्य हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म सनातन के पुरोधा हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रेस के सामने ही तमाम चाटुकार भगवाधारी दलालों और अंधभक्त मीडिया, जो चीख रहे थे कि 144 साल बाद यह शुभ अवसर आया है महाकुंभ के रूप में, को लताड़ा। यह आपके जीवन में दोबारा संयोग नहीं आएगा क्योंकि तब तक आप जीवित ही नहीं रहेंगे। इसलिए देश के सारे हिंदू महाकुंभ में आकर गंगा स्नान या डुबकी लगाकर अपने पाप धो लें और मुक्ति पा लें। फिर क्या था, मूर्ख बनते हिंदू बिना सोचे-समझे चल दिए गंगा में डुबकी लगाकर पाप धोने और मोक्ष पाने। सरकारी प्रचार तंत्र ने पचास करोड़ श्रद्धालुओं के आने की घोषणा पहले ही कर दी थी। वीवीआईपी स्नान के लिए आम हिंदुओं को तीन घंटे रोका गया। इस आयोजन में एक बात स्पष्ट रूप से नजर आई कि यदि आप सत्ता में हों या दौलतमंद हों, तो महामंडलेश्वर बने ढोंगी संत आपको नहलाने आ जाएंगे। वे आपके सिर पर जल ऐसे छिड़केंगे जैसे आप उनके भगवान हों और वे आपकी पूजा-आराधना कर स्वयं को धन्य मानने लगेंगे। इतना ही नहीं, वे आपके दोनों हाथों को पकड़कर गंगा में डुबकी भी लगवाएंगे। सारा प्रशासनिक अमला वीवीआईपी की सेवा में लग जाएगा, प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, और पाप धोने तथा मोक्ष पाने की लालच में जुटी भीड़ को पुलिस अधिकारी अमृत स्नान के लिए जल्दी करने की घोषणा करने लगेंगे, तो स्वाभाविक है कि जड़ और विवेकहीन भीड़ दौड़ लगाएगी ही, ताली, उसके पाप धोने, पुण्य पाने से पहले कोई दूसरा अवसर का फायदा न उठा ले। नतीजा, भगदड़, जिसकी सूचना एक पुलिस अधिकारी ने पहले ही माइक द्वारा दे रखी थी। भीड़ का कोई धर्म नहीं होता। जो गिरा, उसे उठाने का मौका ही नहीं मिला। पैरों तले दबकर और कुचलकर मर गए। जिनके लिए चाटुकार धूर्त धीरेन्द्र शास्त्री ने घोषणा कर दी कि वे मरे नहीं, मुक्ति पा गए। जिस देश में ऐसे चाटुकार पाखंडी बाबाओं की पूजा हजारों-लाखों हिंदू करेंगे, तो यही होगा। केंद्रीय एजेंसी ने विभिन्न तारीखों को गंगा जल की जांच कर उसमें मानव मल की अधिकता से बहुत अधिक गंदा होने की रिपोर्ट दी। उन वैज्ञानिकों के अनुसार, मानव मल मिश्रित गंगा जल स्नान योग्य ही नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने वैज्ञानिकों को झूठा कह दिया। मेले में भगदड़ हो या नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर, मरे दोनों जगह, लेकिन यूपी सरकार और रेलवे ने अस्पतालों के सामने पुलिस फोर्स लगा दी, ताकि कोई पत्रकार मृतकों के सही आंकड़े नहीं बता दे। गोदी मीडिया तो वैसे भी सरकार से संबंधित ऐसे मामलों में रिपोर्टिंग नहीं करती। बस स्वतंत्र पत्रकार अस्पताल में जाकर हकीकत जानने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें धकिया कर पुलिस दूर धकेल देती रही। जिसका मतलब साफ है कि सरकार नहीं चाहती कि इसकी अव्यवस्था के कारण मरने वालों की संख्या की जानकारी हिंदुओं को हो जाए।
जिन मुसलमानों को बीजेपी सरकारें देशद्रोही बताती हैं, जिनकी मस्जिदों के नीचे मंदिर और शिवलिंग ढूंढने के लिए बुलडोजर चलाकर मस्जिदें तोड़ दी जाती हैं, जिन सरकारों की नजर में सुप्रीम कोर्ट की कोई परवाह नहीं है, जो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करती हैं, मनमानी करती हैं, क्योंकि देश में वे खुद को सर्वशक्तिशाली प्रमाणित करते हुए अपने आप को तानाशाह प्रमाणित करती हैं, उसकी झूठी बातों में हिंदू क्यों फंसे?
जो अज्ञानी ढोंगी गेरुआ धारी बाबा भगदड़ की भविष्यवाणी नहीं कर सके, फिर वे कैसे तत्वदर्शी होने का दावा कर सकते हैं? शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ऑन कैमरा बताया कि वे अपने गुरु के साथ सन् 2000 में प्रयाग आए थे, तब कहा गया कि 144 साल बाद महाकुंभ लगा है। जब स्वयं 2013 और 2025 में आए कुंभ स्नान के लिए, तब भी कहा गया कि 144 साल बाद आया है। उन्होंने यह भी कहा कि 2037 में भी कहा जाएगा कि 144 साल बाद महाकुंभ लगा है। जबकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हर 6 वर्ष बाद अर्धकुंभ और 12 वर्ष बाद कुंभ स्नान लगता है।
किसी वेद, शास्त्र, उपनिषद, आरण्यक, गीता, रामायण और महाभारत ग्रंथ में महाकुंभ मेले का कोई वर्णन नहीं मिलता। देव-दानव के द्वारा समुद्र मंथन के समय किसने देखा था कि तीन ग्रह एक मार्ग में हैं? फिर आज कौन और किस आधार पर हिंदुओं को महाकुंभ संगम स्नान कर पाप धोने और मोक्ष पाने का झूठा प्रचार कर, हिंदुओं की श्रद्धा को अंधश्रद्धा में बदलकर मूर्ख बना रहा? जहां तक गंगा नदी की बात है, उसमें भागीरथी, अलकनंदा, यमुना जैसी नदियों का पानी आकर मिलता है। गंगा निर्मलीकरण के नाम पर हजारों करोड़ स्वाहा हो गए। दिल्ली में यमुना में फैन दिखती रही। पिछले दस वर्षों तक केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए कुछ नहीं कराया, क्योंकि तब आम आदमी सरकार को दोषी ठहराना और राजनीति करनी थी। दिल्ली में अब सरकार बनते ही यमुना की सफाई शुरू कर देना प्रमाणित करता है कि बीजेपी सरकारों को जनता से केवल वोट लेना है, उसका हित करना नहीं। सवाल है देश के हिंदू समाज से—कब तक यूं ही सरकार, गोदी मीडिया और धूर्त ढोंगी बाबाओं की बातों में आकर मूर्ख बनते रहोगे? तर्क करना सीखो। पाखंडियों के बहकावे में मत आओ।