मुंबई। मुंबई की एक अदालत ने भाजपा नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी के एक मामले को बंद करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि मामले में आगे जांच जरूरी है, क्योंकि पुलिस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि नौसेना के विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ को बचाने के लिए जुटाए गए धन का क्या हुआ। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एसपी शिंदे ने मुंबई पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) द्वारा प्रस्तुत की गई क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया और मामले में और जांच के आदेश दिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस ने यह जांच नहीं की है कि आरोपियों ने जमा किए गए धन का उपयोग कैसे और कहां किया।
मजिस्ट्रेट शिंदे ने कहा कि पुलिस के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिससे पता चलता हो कि उक्त राशि को महाराष्ट्र के राज्यपाल के कार्यालय या सरकार को जमा किया गया था। उन्होंने कहा कि जांच से पता चला है कि आरोपियों ने धन एकत्र किया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इस राशि का क्या किया गया। अदालत ने जांच अधिकारी को मामले की आगे जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। यह मामला आईएनएस विक्रांत से संबंधित है, जिसे 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था और जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1997 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया था और 2014 में इसे नीलाम कर दिया गया था। आरोप है कि सोमैया और उनके बेटे ने विक्रांत को बचाने के लिए 57 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई, लेकिन इस राशि को राज्यपाल के कार्यालय में जमा करने के बजाय उसका गबन किया।
इस मामले में अप्रैल 2022 में एक पूर्व सैनिक की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उन्होंने इस अभियान के लिए 2,000 रुपये का चंदा दिया था और दावा किया कि सोमैया ने इस राशि का दुरुपयोग किया। अदालत ने पाया कि मामले के तथ्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर आगे जांच की आवश्यकता है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आरोपियों ने इस धन का क्या किया। अदालत ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह इस मामले में सभी आवश्यक गवाहों से बयान लेकर और जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।