
अभिमनोज
दुनियाभर में साइबर सुरक्षा का मुद्दा बेहद गंभीर है क्योंकि हर रोज इसमें नए-नए बदलाव आते हैं, नई-नई चुनौतियां आती हैं, लिहाजा इस पर लगातार काम करने की जरूरत रहती है। देश में साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) द्वारा राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के सहयोग से राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास: भारत एनसीएक्स 2025 का आयोजन किया गया, जिसका मकसद देश की साइबर सुरक्षा स्थिति को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाना है। उल्लेखनीय है कि भारत एनसीएक्स 2025 देशभर के साइबर सुरक्षा पेशेवरों, नीति निर्माताओं, सुरक्षाकर्मियों सहित उद्योग जगत के दिग्गजों को दो सप्ताह का अनुभव प्रदान करने का काम करेगा, जिससे दुनियाभर के साइबर हमलों से निपटने में सक्षम हो सके। यह अभ्यास साइबर सुरक्षा और घटना प्रतिक्रिया पर केंद्रित एक विस्तृत शिक्षण वातावरण प्रदान करता है, जिसमें लाइव-फायर सिमुलेशन शामिल हैं जो आईटी और ओटी (परिचालन प्रौद्योगिकी) दोनों प्रणालियों पर वास्तविक दुनिया के हमलों को दर्शाते हैं। यह प्रतिभागियों को इस बारे में व्यावहारिक दृष्टिकोण भी देता है कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइबर सुरक्षा परिदृश्य को नया रूप दे रहा है। यही नहीं, यह नए-नए खतरों से निपटने के लिए सरकारी निकायों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठनों और उद्योग के हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा भी देता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास – भारत एनसीएक्स 2025 का आधिकारिक उद्घाटन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टी. वी. रविचंद्रन ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन.पटेल की उपस्थिति में किया। यह अभ्यास भारत की साइबर सुरक्षा स्थिति में एक बड़ा कदम है, जिसका प्रमुख उद्देश्य है — भारतीय साइबरस्पेस की परिचालन तैयारियों को बढ़ाना।
इस मौके पर उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टी. वी. रविचंद्रन का कहना था कि शासन और स्वास्थ्य सेवा से लेकर ऊर्जा, परिवहन और रक्षा तक, सभी क्षेत्रों में हमारे डिजिटल बुनियादी ढांचे की साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, नागरिक विश्वास और सार्वजनिक सुरक्षा का आधार है।
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.(डॉ.) बिमल एन.पटेल का कहना था कि पिछले दो दशकों में साइबर और ए. आई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की क्षमताएं साइबर सुरक्षा के लिए सशक्त बनकर उभरी हैं और डिजिटल स्पेस शासन कला, प्रतिस्पर्धा और संघर्ष के एक नए क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें राष्ट्र-राज्य और राज्य-प्रायोजित संस्थाएं शामिल हैं।
यह आयोजन 21 जुलाई से 1 अगस्त, 2025 तक चलेगा, जिसका समापन एक संयुक्त डीब्रीफिंग सत्र में होगा जिसमें प्रमुख सबक समेकित किए जाएंगे, परिचालन और नीति-स्तरीय निष्कर्षों का मूल्यांकन किया जाएगा और राष्ट्रीय साइबर लचीलेपन के लिए दूरदर्शी रणनीतियाँ स्थापित की जाएंगी।
वैश्विक संदर्भ और भारत की भागीदारी
NCX 2025 को अब तक का सबसे बड़ा और जमीनी साइबर सुरक्षा अभ्यास माना जा रहा है। इसमें न केवल सरकारी एजेंसियाँ, बल्कि निजी कंपनियाँ, स्टार्टअप्स और शिक्षण संस्थान भी भाग ले रहे हैं। इसका उद्देश्य एक ऐसा बहुस्तरीय और सहयोगात्मक तंत्र विकसित करना है, जहाँ तकनीकी विशेषज्ञता और नीतिगत स्पष्टता दोनों का संतुलन बना रहे।
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक साइबर हमलों की बढ़ती घटनाएँ इस अभ्यास की प्रासंगिकता को और भी बढ़ा देती हैं। अमेरिका की कोलोनियल पाइपलाइन पर हुआ साइबर हमला हो या यूक्रेन की बिजली व्यवस्था को ठप करने वाला साइबर हमला — दुनिया यह जान चुकी है कि आधुनिक युद्ध केवल सीमा पर नहीं, डेटा पर भी लड़े जा रहे हैं। भारत में भी मुंबई की बिजली ग्रिड पर हुए साइबर हमले जैसे उदाहरण इस खतरे की गंभीरता को रेखांकित करते हैं।
भारत को इससे क्या लाभ मिलेगा?
यह अभ्यास भारत को तीन प्रमुख स्तरों पर लाभ पहुंचाएगा –
तकनीकी स्तर पर, साइबर हमलों की त्वरित पहचान और प्रतिक्रिया के लिए जरूरी कौशल विकसित होंगे।
सार्वजनिक-निजी समन्वय के तहत, सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग का एक प्रभावी मॉडल बनेगा।
नीतिगत लाभ के रूप में, भारत की साइबर नीति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर कूटनीति को मज़बूती मिलेगी।
सबसे महत्वपूर्ण यह कि नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाओं— जैसे बैंकिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार— में विश्वास और निर्भीकता बढ़ेगी, जो डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में सहायक होगा।
जन-जागरूकता और नागरिक सहभागिता
आज जब हर नागरिक स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपयोग कर रहा है, तो साइबर सुरक्षा केवल विशेषज्ञों तक सीमित विषय नहीं रह गया। नागरिकों का डेटा- बैंक खाते, मेडिकल रिकॉर्ड, संवाद- अब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलुओं में गिना जा रहा है। भारत NCX 2025 इसी जागरूकता को आकार देने वाला एक राष्ट्रीय मंच है, जो आम नागरिक को यह एहसास कराता है कि उनकी डिजिटल सतर्कता भी राष्ट्र की सुरक्षा का हिस्सा है।
भारत NCX 2025 केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि डिजिटल युग में भारत की संप्रभुता और सामर्थ्य की घोषणा है। यह एक ऐसी साइबर ढाल की नींव है, जो आने वाले समय में भारत को वैश्विक साइबर शक्ति बनने की ओर अग्रसर करेगी। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं साइबर विधि के अध्येता हैं।)