
मुंबई। भारत रत्न डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा का यूनेस्को के पेरिस स्थित मुख्यालय में स्थापित होना गौरवपूर्ण, ऐतिहासिक और वैश्विक स्तर पर अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है, ऐसा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. आंबेडकर सामाजिक न्याय, समानता, बंधुता और मानवाधिकारों के वैश्विक प्रवक्ता के रूप में जाने जाते हैं। शिक्षा ही सफलता की कुंजी है। बाबासाहेब के इस संदेश को विश्वभर में पहुँचाने के उद्देश्य से उनकी प्रतिमा यूनेस्को को भेंट स्वरूप प्रदान की गई है। यूनेस्को में भारत के राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री फडणवीस से शिष्टाचार भेंट कर इस पहल के लिए आभार व्यक्त किया। शर्मा ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध यूनेस्को में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का स्थापित होना भारत की 80 वर्षों की सदस्यता के इतिहास में पहली बार हुआ है, जो मुख्यमंत्री फडणवीस की पहल से संभव हो सका। संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर 2025 को यूनेस्को में इस प्रतिमा का अनावरण किया गया था, जिसमें यूनेस्को के महानिदेशक, 50 से अधिक देशों के राजदूत और सचिवालय के सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के संदेश पढ़े गए, जबकि मुख्यमंत्री फडणवीस ने वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राज्य और केंद्र सरकार का संयुक्त प्रयास है, जिससे बाबासाहेब के समानता और शिक्षा के संदेश को विश्व के युवाओं तक पहुँचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है और इसका भव्य समारोह शिवाजी महाराज की जयंती पर शिवनेरी किले में आयोजित करने का सरकार का मानस है। किलों और विरासत आधारित विकास से 50 हजार से अधिक रोजगार सृजित होंगे और लगभग एक हजार करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री कार्यालय की अपर मुख्य सचिव अश्विनी भिड़े, सांस्कृतिक कार्य विभाग के सचिव किरण कुलकर्णी, राज्य पुरातत्त्व विभाग के निदेशक डॉ. तेजस गारगे सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।




