Wednesday, July 23, 2025
Google search engine
HomeUncategorized"विचारधाराएं भिन्न हो सकती हैं, दुश्मनी नहीं"— फडणवीस पर ठाकरे और पवार...

“विचारधाराएं भिन्न हो सकती हैं, दुश्मनी नहीं”— फडणवीस पर ठाकरे और पवार की सराहना, बावनकुले ने बताया महाराष्ट्र की परंपरा

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक दिलचस्प घटनाक्रम देखने को मिला, जब शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के सुप्रीमो शरद पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक प्रभावशाली और दूरदर्शी नेता बताया। इन प्रतिक्रियाओं के बाद, बुधवार को राज्य के मंत्री और भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे “महाराष्ट्र की सांस्कृतिक परंपरा” बताया। मंत्री बावनकुले ने कहा, महाराष्ट्र की परंपरा रही है कि किसी व्यक्ति के जन्मदिन पर उसके अच्छे कार्यों की सराहना की जाती है। उद्धवजी ने मुख्यमंत्री फडणवीस के विजन, विशेषकर 2029 तक विकसित महाराष्ट्र के लिए प्रस्तुत रोडमैप की जो सराहना की है, वह पूरे राजनीतिक परिदृश्य के लिए प्रेरक है। यह टिप्पणियां उस समय सामने आईं जब ‘महाराष्ट्र नायक’ नामक एक कॉफी टेबल बुक का विमोचन महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री फडणवीस के जन्मदिन के अवसर पर किया गया। इस पुस्तक में अनेक राजनीतिक हस्तियों द्वारा फडणवीस के बारे में व्यक्तिगत विचार साझा किए गए हैं। उद्धव ठाकरे ने अपने लेख में फडणवीस को “बुद्धिमान, विश्वसनीय और जनता के हितों के प्रति संवेदनशील नेता” बताया। ठाकरे ने यह भी लिखा कि, देवेंद्र फडणवीस जनता की समस्याओं को समझते हैं और समाधान हेतु तत्पर रहते हैं। आने वाले वर्षों में वह राष्ट्रीय राजनीति में और भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। पुस्तक में राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने भी फडणवीस की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “उनकी समर्पण भावना और कार्य के प्रति एकाग्रता ही उन्हें बार-बार मुख्यमंत्री पद तक पहुँचाने का कारण बनी है। उनकी कार्यशैली मुझे 1978 की याद दिलाती है, जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में पत्रकारों से कहा, “मैं और उद्धवजी वैचारिक रूप से भिन्न हो सकते हैं, लेकिन हम एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हैं। शरद पवार एक वरिष्ठ नेता हैं और उनका कोई भी विचार मेरे लिए अत्यंत मूल्यवान है। इस पूरे घटनाक्रम को राज्य की राजनीति में शिष्टाचार, संवाद और पारस्परिक सम्मान की वापसी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उस दौर में जब राजनीतिक मतभेद अक्सर कटुता का रूप ले लेते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments