
मुंबई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत महाराष्ट्र में स्कूली शिक्षा को नया रूप दिया जा रहा है। इसके तहत कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए अब मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल किया गया है। यह नई भाषा नीति शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से कक्षा 1 के छात्रों के लिए लागू की जाएगी और इसे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा।
तीन-भाषा सूत्र का कार्यान्वयन
महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल को इस बदलाव की घोषणा करते हुए बताया कि यह निर्णय नई शिक्षा नीति के अंतर्गत लिया गया है, जिसमें पूरे भारत में भाषाई एकरूपता और संचार की सुविधा को प्राथमिकता दी गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि महाराष्ट्र के हर छात्र को मराठी के साथ-साथ देश की भाषा, हिंदी और वैश्विक संपर्क के लिए अंग्रेजी भी आए। इस निर्णय के अनुसार, सभी मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अब हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। पहले इन स्कूलों में केवल दो भाषाएँ पढ़ाई जाती थीं – माध्यम की भाषा और एक वैकल्पिक भाषा। अब तीनों भाषाएं – हिंदी, अंग्रेजी और मराठी – अनिवार्य होंगी
नई पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन और NCERT पाठ्यक्रम का समावेश
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) का पाठ्यक्रम अब महाराष्ट्र राज्य बोर्ड की पाठ्यपुस्तकों का आधार बनेगा। हालांकि, इन पुस्तकों में महाराष्ट्र के स्थानीय संदर्भों को शामिल करने के लिए आवश्यक समायोजन किए गए हैं, विशेषकर भाषाओं और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में। बालभारती – राज्य पाठ्यपुस्तक ब्यूरो – नई संरचना के तहत कक्षा 1 की पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन कर रही है।
राज्य शिक्षा प्रणाली में बदलाव
सरकार द्वारा जारी जीआर (सरकारी संकल्प) में कहा गया है कि महाराष्ट्र में 5+3+3+4 संरचना के तहत स्कूल शिक्षा प्रणाली का कार्यान्वयन शुरू हो चुका है। यह संरचना शिक्षा के विभिन्न चरणों को स्पष्ट करती है:
5 वर्ष – प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 2 और पूर्व-प्राथमिक)
3 वर्ष – माध्यमिक प्राथमिक (कक्षा 3 से 5)
3 वर्ष – उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8)
4 वर्ष – माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 9 से 12)
भाषा शिक्षा के माध्यम से एकता और अवसर
शिक्षा विभाग के अनुसार, यह पहल केवल भाषा सीखने तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और समावेश को भी बढ़ावा देती है। छात्र अब क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक भाषाओं में दक्षता प्राप्त करेंगे। अन्य माध्यम के स्कूलों को भी इस नीति का पालन करना होगा, जिसमें छात्रों को मराठी, अंग्रेजी और हिंदी तीनों भाषाएं पढ़नी होंगी।