
मुंबई। राज्य के मुख्य सचिव राजेश अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय राज्य समिति ने रविवार, 21 दिसंबर को पूर्वी उपनगरों में स्थित बीएमसी के स्वामित्व वाले कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड का दौरा किया। इस दौरान बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी और शहरी विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। समिति ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया और डंपिंग ग्राउंड से फैल रहे प्रदूषण को रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों पर चर्चा की। यह निरीक्षण बॉम्बे हाईकोर्ट के हालिया निर्देशों के बाद किया गया है। अदालत ने इस महीने की शुरुआत में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि बीएमसी “प्रदूषण रोकने में बुरी तरह नाकाम रही है” और क्षेत्र में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए तत्काल और अल्पकालिक उपायों का ठोस खाका पेश करने का निर्देश दिया था। बीएमसी द्वारा तैयार यह खाका 22 दिसंबर को हाईकोर्ट में पेश किया जाना है। हाईकोर्ट इस मामले में एनजीओ ‘वनशक्ति’ और एक रेजिडेंट्स एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाओं में कांजुरमार्ग साइट को डंपिंग के लिए दी गई पर्यावरण मंजूरी को चुनौती दी गई है और बदबू, धुआं, वायु प्रदूषण व गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को लेकर गहरी चिंता जताई गई है। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने समिति को बताया कि बदबू नियंत्रण के लिए सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में इस्तेमाल होने वाली अंतरराष्ट्रीय तकनीकों को साइट पर लागू करने की योजना है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इन उपायों के ठोस नतीजों और लिखित आश्वासन की मांग की। विक्रोलीकर विकास मंच के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता संजय येल्वे ने कहा कि समिति को स्थानीय निवासियों से सीधे बातचीत कर उनकी परेशानियों को समझना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि “निवासियों को सिर्फ दौरे नहीं, बल्कि स्थायी समाधान चाहिए। यह समिति उपमुख्यमंत्री और शहरी विकास विभाग के प्रमुख एकनाथ शिंदे के अधीन कार्य कर रही है। हालांकि, इस दौरे में वे मौजूद नहीं थे। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि जुलाई में स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद राज्य सरकार को समिति गठित करने में कई महीने लग गए। इसके बाद 8 दिसंबर को राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी कर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया, जो बीएमसी द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों का अध्ययन कर रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेगी। गौरतलब है कि बीएमसी ने हाल ही में कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड और आसपास की 26 जगहों में बदबू ऑडिट कराने के लिए टेंडर भी जारी किया है। लगातार आ रही शिकायतों में कहा गया है कि डंपिंग ग्राउंड से निकलने वाली तीखी बदबू और प्रदूषण से न सिर्फ कांजुरमार्ग, बल्कि भांडुप और विक्रोली इलाके भी प्रभावित हो रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने क्षेत्र में सांस संबंधी गंभीर बीमारियों के बढ़ते मामलों को लेकर भी चिंता जताई है।




