मुंबई। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह फर्जी खबरों के खिलाफ संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत विचारित ‘फैक्ट चेक यूनिट’ (एफसीयू) को तब तक अधिसूचित नहीं करेगी जब तक कि बम्बई उच्च न्यायालय संशोधनों को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर अपना फैसला नहीं सुना देता। न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने याचिकाओं पर संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनना बंद कर दिया और कहा कि वह एक दिसंबर को फैसला सुनाने का प्रयास करेगी। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि मामले में फैसला आने तक केंद्र सरकार सोशल मीडिया पर फर्जी, झूठे और भ्रामक तथ्यों की पहचान करने और उन्हें उजागर करने के लिए नियमों के तहत गठित की जाने वाली एफसीयू को अधिसूचित नहीं करेगी। संशोधित नियमों के तहत, यदि एफसीयू को ऐसी पोस्ट के बारे में पता चलता है या उसे सूचित किया जाता है जो सरकार के कामकाज से संबंधित फर्जी, गलत और भ्रामक तथ्य हैं तो वह सोशल मीडिया मंचों को इसकी जानकारी देगा। नियमों को चुनौती देते हुए इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गईं थीं। हास्य कलाकार कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स ने नियमों के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की हैं और इन नियमों को मनमाना और असंवैधानिक बताया है और दावा किया है कि उनका नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा। तीन याचिकाओं में अदालत से संशोधित नियमों को असंवैधानिक घोषित करने और सरकार को नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। केंद्र ने हालांकि कहा कि वह किसी भी प्रकार की राय, आलोचना, व्यंग्य या हास्य के खिलाफ नहीं है और नियम केवल सोशल मीडिया पर फर्जी, झूठे और भ्रामक तथ्यों को प्रतिबंधित करने के लिए बनाये गये हैं। केंद्र सरकार ने इस साल छह अप्रैल को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी जिसके तहत सरकार से संबंधित फर्जी, गलत या भ्रामक ऑनलाइन सामग्री को चिह्नित करने के लिए एक ‘‘फैक्ट चेक यूनिट’’ गठित करने का प्रावधान भी शामिल है।