
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को धार्मिक स्थलों पर अवैध रूप से लगाए गए लाउडस्पीकरों के मुद्दे पर महाराष्ट्र पुलिस के प्रयासों को पर्याप्त बताते हुए एक अवमानना याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता संतोष पचलाग द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 2016 में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिए गए निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना नहीं की गई है, और पुलिस ने अदालत के आदेशों का अनुपालन करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। अदालत ने पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला के मार्च 2025 में दायर हलफनामे का अवलोकन करते हुए पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा उल्लिखित 2,940 अवैध लाउडस्पीकरों में से 343 को हटाया गया है, 831 को जांच के बाद अनुमति दी गई है, और 767 मामलों में धारा 149 (सीआरपीसी) के तहत नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, पांच मामलों को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को भेजा गया है और 19 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है। हाईकोर्ट को यह भी अवगत कराया गया कि राज्य भर में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए 49 इकाइयों की निगरानी हेतु एक पुलिस महानिरीक्षक की नियुक्ति की गई है। अदालत ने माना कि प्रतिवादी अधिकारियों ने न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं और किसी भी स्तर पर आदेश की जानबूझकर अवहेलना का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता को आगे कोई शिकायत हो तो वे राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मौजूदा तथ्यों और परिस्थितियों में अवमानना की कार्यवाही चलाने की आवश्यकता नहीं है।