
12 नई औद्योगिक नीतियाँ जल्द होंगी लागू, स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य के उद्योग मंत्री डॉ. उदय सामंत ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य महाराष्ट्र को उद्योग और निवेश के क्षेत्र में स्थायी रूप से ‘नंबर वन’ बनाए रखना है। इसके लिए सरकार उद्यमियों को हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार है। वे वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए आयोजित “महाराष्ट्र राज्य निर्यात पुरस्कार 2025” के वितरण समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री के प्रधान सचिव नवीन कुमार सोना, उद्योग सचिव डॉ. पी. अंबाल्गन, औद्योगिक विकास आयुक्त दीपेंद्र सिंह कुशवाह, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एम. देवेंद्र सिंह, अतिरिक्त विकास आयुक्त वैभव वाघमारे और कई पुरस्कार विजेता उद्यमी उपस्थित थे। डॉ. सामंत ने बताया कि राज्य सरकार निर्यात अनुपात को दस गुना बढ़ाने के उद्देश्य से 12 नई औद्योगिक नीतियाँ लागू करने जा रही है। इनमें एवीजीसी (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स), जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर), बांस, चमड़ा, एयरोस्पेस और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष नीतियाँ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये नीतियाँ उद्यमियों के लिए राहत और विस्तार के नए अवसर लेकर आएंगी।
‘दावोस से लेकर जापान तक, महाराष्ट्र में रिकॉर्ड निवेश’
उद्योग मंत्री ने बताया कि दावोस, जर्मनी और जापान जैसे देशों में हुए समझौतों के कारण महाराष्ट्र में भारी निवेश आया है। उन्होंने बताया कि दावोस में पहले वर्ष 1.70 लाख करोड़ रुपये, दूसरे वर्ष 7 लाख करोड़ रुपये और तीसरे वर्ष 16 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए। उन्होंने गर्व से कहा कि महाराष्ट्र इन समझौतों का 80 प्रतिशत कार्यान्वयन करने वाला देश का पहला राज्य है। डॉ. सामंत ने उद्यमियों से अपील की कि पुरस्कार प्राप्त करते हुए वे इस बात पर विशेष ध्यान दें कि स्थानीय भूमिपुत्रों को रोजगार कैसे मिल सके। उन्होंने बताया कि रत्न और आभूषण क्षेत्र के उद्यमियों ने नवी मुंबई में आगामी परियोजना के लिए रत्नागिरी में पहला प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया है, जहाँ स्थानीय युवाओं को कम से कम 40,000 रुपए का वेतन दिया जा रहा है। यह एक अनुकरणीय उदाहरण है।
स्थानीय मुद्दों के समाधान पर दिया जोर
उद्योग मंत्री ने कहा कि उद्योग स्थापित होने के बाद कानून-व्यवस्था की समस्याएँ अक्सर दो कारणों से उत्पन्न होती हैं — स्थानीय रोजगार और भूमि अधिग्रहण। उन्होंने उद्यमियों से आग्रह किया कि वे इन दोनों मुद्दों पर संवेदनशीलता से पहल करें और स्थानीय लोगों की समस्याओं का समाधान करने में अग्रणी भूमिका निभाएँ। उन्होंने कहा कि मैत्री पोर्टल और मिलाप प्रणाली के माध्यम से अब उद्योग विभाग की प्रक्रियाएँ और अधिक पारदर्शी और तेज़ हो गई हैं। महाराष्ट्र में अब उद्यमियों के लिए ‘लाल कालीन’ बिछा दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में लगातार बड़े निवेश आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में 57,000 नए उद्यमियों ने शुरुआत की है, जबकि केवल पिछले दो वर्षों में 1.5 लाख बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिला है।
‘निर्यात रूपांतरण पुस्तिका’ का विमोचन और अधिकारियों का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान डॉ. उदय सामंत ने ‘निर्यात रूपांतरण पुस्तिका’ का विमोचन किया। साथ ही, निर्यात को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान के लिए रत्नागिरी, नागपुर, गढ़चिरौली और लातूर के जिलाधिकारियों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर औद्योगिक विकास आयुक्त दीपेंद्र सिंह कुशवाह ने विभाग की गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया, जबकि उपमुख्यमंत्री के प्रधान सचिव नवीन कुमार सोना और उद्योग सचिव डॉ. पी. अंबाल्गन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. सामंत ने अंत में निर्देश दिया कि उद्योग विभाग उद्यमियों को नई नीतियों के लाभ के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष कार्यशालाएँ आयोजित करे, ताकि राज्य के औद्योगिक विकास को और गति मिल सके।