मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने शुक्रवार को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय के उपलक्ष्य में सेना की 405 किलोमीटर लंबी ‘विजय दिवस अल्ट्रा मैराथन’ को हरी झंडी दिखाई। यह युद्ध बांग्लादेश की स्वतंत्रता का आधार बना। कोलाबा स्थित शहीद स्मारक पर ध्वजारोहण समारोह के दौरान बड़ी संख्या में नागरिकों और वर्दीधारी गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। यह अल्ट्रा मैराथन 405 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए नासिक, अहमदनगर और कोल्हापुर जैसे प्रमुख सैन्य छावनियों से गुजरते हुए पुणे में समाप्त होगी। पुणे में इस दौड़ का समापन 16 दिसंबर को विजय दिवस पर होगा, जो 1971 के युद्ध में भारत की शानदार जीत की याद दिलाता है।
अल्ट्रा मैराथन का उद्देश्य और भागीदारी
भारतीय सेना ने इस आयोजन में पेशेवर धावकों, सेवारत कर्मियों, रक्षा दिग्गजों, एनसीसी कैडेट्स और आम नागरिकों को भाग लेने का निमंत्रण दिया है। लोग इसमें रिले सेगमेंट में भाग ले सकते हैं, मार्ग के किनारे से धावकों का उत्साहवर्धन कर सकते हैं या स्थानीय गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। आयोजन का उद्देश्य सशस्त्र बलों और नागरिकों के बीच एकता को बढ़ावा देना और सेना के बलिदान और वीरता को श्रद्धांजलि देना है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, “यह आयोजन सशस्त्र बलों के समर्पण को सम्मानित करने और नागरिकों में फिटनेस तथा लचीलापन बढ़ाने का भी अवसर प्रदान करता है।
विशेष कार्यक्रम और समापन
मैराथन के प्रत्येक पड़ाव पर प्रेरणादायक कार्यशालाएं, सांस्कृतिक प्रदर्शन और सेना के दिग्गजों के साथ बातचीत जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह आयोजन न केवल सेना की वीरता को दर्शाता है, बल्कि नागरिकों में राष्ट्र के प्रति गौरव और एकता की भावना को भी बढ़ावा देता है। इसका समापन 16 दिसंबर को पुणे युद्ध स्मारक पर होगा, जहां विजय दिवस पर भारतीय सेना की विजय का स्मरण और सम्मान किया जाएगा। यह कार्यक्रम 2025 के सेना दिवस परेड की पूर्व तैयारियों का हिस्सा है।