
मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने महिला एवं बाल विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से योजनाओं को अपनेपन की भावना और मानवीय दृष्टिकोण के साथ लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रगति तभी सार्थक होगी जब समाज में महिलाओं और बच्चों की स्थिति में सुधार होगा।राजभवन में आयोजित इस समीक्षा बैठक में राज्यपाल ने ‘वन स्टॉप सेंटर’, ‘मिशन शक्ति’, लखपति दीदी योजना, और अनाथ बच्चों के लिए आरक्षण जैसी पहलों पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे, विभाग के सचिव डॉ. अनूप कुमार यादव, आयुक्त नयना गुंडे, ‘उमेद’ मिशन के सीईओ नीलेश सागर, और आईसीडीएस आयुक्त कैलाश पगारे सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
राज्यपाल ने अधिकारियों को टीम भावना से कार्य करने का सुझाव दिया और कहा कि महिलाओं, बच्चों और विशेष रूप से अनाथ बच्चों के विकास की जिम्मेदारी विभाग की है। उन्होंने कहा कि आदिवासी विद्यार्थियों की स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए विशेष प्रयास जरूरी हैं। यदि उन्हें यह जानकारी दी जाए कि विश्वविद्यालयों में मुफ्त शिक्षा, आवास और भोजन जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो उच्च शिक्षा में उनकी भागीदारी बढ़ सकती है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनाथ बच्चों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के निर्णय को क्रांतिकारी बताया और कहा कि इससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। राज्यपाल राधाकृष्णन ने सुझाव दिया कि मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी गांवों का दौरा करें, लाभार्थियों से सीधे बातचीत करें और देखें कि योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी हैं या नहीं। उन्होंने ग्रामीण आजीविका मिशन ‘उमेद’ के तहत चल रही लखपति दीदी योजना की प्रगति की भी जानकारी ली। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने विभाग की प्रमुख योजनाओं की जानकारी दी, वहीं सचिव डॉ. अनूप कुमार यादव ने अपने प्रस्तुतीकरण में राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रमुख योजनाओं की स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत किया। नीलेश सागर ने ग्रामीण आजीविका सुधार मिशन की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवरे और उप सचिव एस.राममूर्ति भी उपस्थित थे। बैठक में यह संकल्प लिया गया कि महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए योजनाओं को जन सहभागिता और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाएगा।