मुंबई। बालवाड़ी से दूसरी तक की कक्षाओं का समय बदलने पर सरकार विचार कर रही है। इस संबंध में सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाई है। इस टीम में छोटे बच्चों के डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक शामिल किए गए हैं। शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि सरकार अगले साल के शैक्षणिक वर्ष से ही इसे लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का मानना है कि छोटे बच्चों के मानसिक विकास के लिए उनकी पूरी नींद बहुत जरूरी है। माता-पिता स्कूल भेजने के लिए बच्चों को सुबह जल्दी उठा देते हैं, इससे उसकी नींद पूरी नहीं होती। ऐसे में सरकार का मानना है कि छोटे बच्चों की कक्षाएं सुबह ९ बजे के बाद शुरू की जाए, तो इससे बच्चों को सुबह जल्दी नहीं उठना पड़ेगा। महाराष्ट्र में प्राइमरी की कक्षाएं सुबह होती हैं। जबकि सेकेंडरी की कक्षाएं दोपहर में आयोजित की जाती हैं। चूंकि माध्यमिक (सेकेंडरी) के छात्रों की उम्र १२ वर्ष से ऊपर तथा प्राइमरी में बच्चों की उम्र ३ से १० वर्ष तक होती है। इसलिए शिक्षाविदों की ओर से सुझाव दिए जा रहे थे कि प्राइमरी स्कूल दोपहर में और सेकेंडरी स्कूल सुबह में होने चाहिए। यही सुझाव राज्यपाल रमेश बैस ने भी दिया था। इसके चलते प्राइमरी की दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई सुबह नौ बजे होगी। हालांकि केसरकर ने कहा कि अन्य कक्षाओं के संबंध में निर्णय लेने के लिए एक समिति बनाई जाएगी। स्कूलों का समय बदलने से अब शहरी अभिभावकों को राहत मिलेगी। दीपक केसरकर ने कहा कि सरकार राज्यपाल की राय से सहमत है। विशेषज्ञों का कहना है कि नींद की कमी से बच्चों के मस्तिष्क के विकास पर असर पड़ता है। हालांकि इस संबंध में जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। लेकिन इस पर केवल सरकार का अकेले निर्णय लेना उचित नहीं है, इसलिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। केसरकर ने कहा कि मनोवैज्ञानिकों और बाल रोग विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।