
पुणे। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को एक गर्भवती महिला की इलाज के अभाव में हुई मौत को “दिल दहला देने वाली” घटना करार दिया और कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की गंभीर खामियों और असंवेदनशीलता को उजागर करती है। यह टिप्पणी उन्होंने पुणे में राज्य परिवार कल्याण भवन एवं प्रशिक्षण केंद्र के शिलान्यास और 43 नए ‘आपला दवाखाना’ क्लीनिकों के उद्घाटन अवसर पर की। घटना का ज़िक्र करते हुए पवार ने बताया कि तनीषा भिसे, जो भाजपा एमएलसी अमित गोरखे के निजी सचिव की पत्नी थीं, को दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने 10 लाख रुपये जमा न कर पाने पर भर्ती करने से इनकार कर दिया था। बाद में उन्हें एक अन्य अस्पताल में जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद अपनी जान गंवानी पड़ी।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
पवार ने कहा कि राज्य सरकार ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लिया है और जांच जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस नीति लाई जाएगी। राज्य सरकार ‘इनकार नहीं करने की नीति’ (No Refusal Policy) लाने की तैयारी कर रही है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में किसी भी अस्पताल को मरीज का इलाज करने से मना करने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही, प्राइवेट अस्पतालों पर सख्त नियम लागू करने की योजना है।
‘हेल्थकेयर रिस्पॉन्स ट्रैकर’ और त्वरित सहायता की व्यवस्था
पवार ने यह भी बताया कि सरकार ‘हेल्थकेयर रिस्पॉन्स ट्रैकर’ और एक समर्पित हेल्पलाइन शुरू करने की योजना बना रही है, जिससे आपात स्थिति में मरीजों को तुरंत सहायता मिल सके। एक विशेष रैपिड रिस्पॉन्स टीम भी गठित की जाएगी। अंत में, उन्होंने कहा कि “स्वास्थ्य सेवा केवल पेशा नहीं बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी है”, और सरकार इसे सेवा भाव से आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।