
गीता प्रेस का शताब्दी वर्ष समारोह
गोरखपुर:(Gorakhpur) सनातन संस्कृति की पौराणिकता व ऐतिहासिकता को साहित्य के माध्यम से संरक्षित, संवर्धित करने वाली विश्व प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्था गीताप्रेस की स्थापना का शताब्दी वर्ष समारोह इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाएगा। इसके शताब्दी वर्ष समारोह का आगाज राष्ट्रपति ने किया था तो समापन अब प्रधानमंत्री की मौजूदगी में होगा।
वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस की शताब्दी वर्ष समारोह का औपचारिक शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल की उपस्थिति में 04 जून 2022 को किया था। तब श्री कोविंद ने गीताप्रेस का भ्रमण किया था।
लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन करने के साथ ही आर्ट पेपर पर छपी श्रीरामचरितमानस के विशेष अंक व गीता तत्व विवेचनी का विमोचन किया था। तब श्री कोविंद ने कहा था कि गीता प्रेस एक सामान्य प्रिंटिंग प्रेस नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शन करने वाला साहित्य का मंदिर है। सनातन धर्म और संस्कृति को बचाए रखने में इसकी भूमिका मंदिरों और तीर्थ स्थलों जितनी ही महत्वपूर्ण है। अब 07 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष का समापन समारोह होने जा रहा है।
खास बात यह भी है कि नरेंद्र मोदी गीताप्रेस आने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। गीताप्रेस में वह आर्ट पेपर पर मुद्रित श्री शिव महापुराण के विशिष्ट अंक (रंगीन, चित्रमय) का भी विमोचन करेंगे। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रशासन के स्तर से सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। पीएम मोदी के स्वागत को ऐतिहासिक बनाने के लिए मुख्यमन्त्री योगी ने मंगलवार को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर व्यापक दिशा-निर्देश भी दिए थे।
धार्मिक व आध्यात्मिक लिहाज से विश्व का सबसे बड़ा प्रकाशन
धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिहाज से गीताप्रेस विश्व की सबसे बड़ी प्रकाशन संस्था है। घर-घर में श्रीरामचरितमानस व श्रीमद्भागवत गीता जैसे ग्रंथों को पहुंचाने का श्रेय इसको ही जाता है। इसकी स्थापना 1923 में एक किराए के भवन में सेठ जयदयाल गोयंदका ने की थी। विश्व विख्यात गृहस्थ संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार के गीताप्रेस से जुड़ने और कल्याण पत्रिका का प्रकाशन शुरू होने के साथ ही इसकी ख्याति उत्तरोत्तर वैश्विक होती गई। स्थापना काल से अब तक 92 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन गीता प्रेस की तरफ से किया जा चुका है।
दो राष्ट्रपति आ चुके हैं गीताप्रेस
गीताप्रेस की स्थापना के बाद अब तक दो राष्ट्रपति यहां आ चुके हैं। गीताप्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी के मुताबिक 1955 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद यहां आए थे। तब उन्होंने यहां स्थित विश्व प्रसिद्ध लीलाचित्र मंदिर और गीताप्रेस के मुख्यद्वार का लोकार्पण किया था। उल्लेखनीय है कि लीलाचित्र मंदिर में श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय दीवारों पर लिखे गए हैं।