Thursday, November 21, 2024
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गिरगांव कोर्ट ने सांसद रवींद्र वायकर और अन्य के खिलाफ मामला बंद करने की पुलिस रिपोर्ट को दी मंजूरी

मुंबई। गिरगांव स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और सांसद रवींद्र वायकर, उनकी पत्नी मनीषा वायकर और चार अन्य सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज मामले में मुंबई पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि यह मामला गलतफहमी और अधूरी जानकारी के आधार पर दर्ज किया गया था। यह मामला जोगेश्वरी में बीएमसी के साथ हुए एक समझौते के उल्लंघन का है, जिसमें स्पोर्ट्स फैसिलिटी की अनुमति लेकर वायकर ने कथित रूप से एक क्लब और पांच सितारा होटल का निर्माण किया।
आरोपों का पृष्ठभूमि
14 सितंबर 2023 को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में रवींद्र वायकर, उनकी पत्नी मनीषा, बिजनेस पार्टनर आसू नेहलवाई, राज लालचंदानी, पृथ्वीपाल बिंद्रा और आर्किटेक्ट अरुण दुबे के खिलाफ जोगेश्वरी के एक प्लॉट पर धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया था। बीएमसी इंजीनियर संतोष मांडवकर की शिकायत के आधार पर दर्ज इस एफआईआर में आरोप था कि वायकर ने स्पोर्ट्स फैसिलिटी के नाम पर प्लॉट की अनुमति प्राप्त की थी, लेकिन इसका इस्तेमाल एक आलीशान होटल के निर्माण के लिए किया गया। बीएमसी के साथ यह समझौता महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था। इस मामले में बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने वायकर पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने आरक्षित भूखंड पर होटल का निर्माण कर करीब 500 करोड़ रुपये का घोटाला किया।
ईओडब्ल्यू द्वारा प्रारंभिक जांच
इन आरोपों के चलते आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भी सोमैया की शिकायत पर प्रारंभिक जांच शुरू की थी। वायकर को इस जांच के दौरान पूछताछ के लिए बुलाया गया और उसके बाद उन पर मामला दर्ज किया गया।
हाईकोर्ट में वायकर की याचिका
वायकर ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी। उन्होंने जोगेश्वरी में आरक्षित भूखंड पर होटल के निर्माण की अनुमति को रद्द करने के बीएमसी के फैसले को चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि अनुमति वापस लेने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।
क्लोजर रिपोर्ट और अदालत का फैसला
पुलिस ने इस साल जुलाई में एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि मामला अधूरी जानकारी और गलतफहमी के आधार पर दर्ज किया गया था। वायकर के शिंदे गुट में शामिल होने के बाद पुलिस ने इस रिपोर्ट को पेश किया। गुरुवार को गिरगांव की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने इस क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।

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