
मुंबई। गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली उर्फ़ ‘डैडी’ को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद 17 साल से अधिक समय के बाद नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। 70 वर्षीय गवली शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे थे। रिहाई के बाद वे अपने पुराने ठिकाने दगड़ी चॉल, मुंबई जाने की तैयारी में हैं। अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को अहमदनगर ज़िले के कोपरगाँव में हुआ। 1970 के दशक में उन्होंने अपने भाई किशोर के साथ मुंबई अंडरवर्ल्ड में कदम रखा और रामा नाइक व बाबू रेशम के नेतृत्व वाले ‘बाइकुला कंपनी’ में शामिल हुए। रामा नाइक की 1988 में पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद गवली ने गिरोह की कमान संभाली और दगड़ी चॉल से अपना नेटवर्क चलाया। 80 और 90 के दशक में उनका गिरोह दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी से टकराता रहा। गवली ने बाद में अखिल भारतीय सेना नामक राजनीतिक दल की स्थापना की और 2004 में मुंबई के चिंचपोकली से विधायक चुने गए। हालांकि, राजनीतिक सफर में उन्हें भतीजे सचिन अहीर के विरोध और घटते जनसमर्थन जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी बेटी गीता बृहन्मुंबई नगर निगम की पार्षद रही हैं। अगस्त 2012 में सीबीआई द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर गवली को शिवसेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। गवली पर कई बार गिरफ़्तारी और पुलिस कार्रवाई हुई, लेकिन गवाहों के अभाव और अपर्याप्त सबूतों के चलते वे लंबे समय तक सज़ा से बचते रहे। गवली के जीवन पर मराठी फ़िल्म ‘दगड़ी चॉल’ और हिंदी फ़िल्म ‘डैडी’ बनाई जा चुकी हैं। इसके अलावा, नेटफ्लिक्स सीरीज़ ‘सेक्रेड गेम्स’ का पात्र गणेश गायतोंडे भी उनके व्यक्तित्व से प्रेरित माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी उम्र, स्वास्थ्य और 2006 से लंबित अपील को ध्यान में रखते हुए उन्हें ज़मानत प्रदान की। रिहाई के बाद नागपुर हवाई अड्डे पर उनका बदला हुआ रूप चर्चा का विषय बना।