Monday, October 20, 2025
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Ganga Dussehra: गंगा माता मंदिरों में हुआ अभिषेक, सजी फूल बंगले की झांकियां

जयपुर:(Ganga Dussehra) गंगा मैया (Ganga Maiya) का पृथ्वी पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा छोटी काशी कहे जाने वाले जयपुर में मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिरों में सुबह गंगा माता का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण करवाई गई। वहीं मंदिरों में फूल बंगले की झांकियां सजाई गई। मंदिरों में दर्शनों के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने गंगा मैया के दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की।

जय निवास उद्यान स्थित देवस्थान विभाग के गंगा माता मंदिर में महंत के सानिध्य में अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण करवाई और फूल बंगले की झांकी सजा कर ठंडाई का प्रसाद वितरित किया गया। चांदपोल स्थित गंगा माता मंदिर में मंदिर समिति के तत्वावधान में गंगा दशहरा महोत्सव मनाया गया। गंगा माता मंदिर में सुबह कई धार्मिक आयोजन हुए और 56 भोग सहित फूल बंगले की झांकी सजाई ।

शहर के गोपाल जी के रास्ते में स्थित श्री गंगा माता के प्राचीन मंदिर में सात झांकियों का आयोजन किया । प्राचीन बड़ी गंगा माता का मंदिर, गोपालजी का रास्ता जयपुर के महन्त की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। झांकी के कार्यक्रम के अनुसर मंगला झांकी सुबह साढे पांच बजे से, वैध धूप झांकी साढे सात बजे से, शृगार झांकी सुबह नौ बजे से, राजभोग झांकी सुबह पौने ग्यारह बजे से पंचामृत झांकी जन्म झांकी दोपहर साढे बारह बजे से, गंगा लहरी पाठों के द्वारा पंचामृत स्नान झांकी, ग्वाल झांकी शाम सवा छह बजे, संध्या आरती और फूल बंगला झांकी शाम साढे सात बजे से रही।

उत्तर भारत की प्रमुख वैष्णव पीठ उत्तर तोदाद्रि गलता जी में गलता पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशाचार्य के सान्निध्य में गंगा दशमी महोत्सव मनाया गया। गलता पीठ के युवराज स्वामी राघवेन्द्र ने बताया कि इस अवसर पर प्रातः गलता जी स्थित पवित्र गोमुख का पूजन किया किया। साथ ही गंगा दशमी महोत्सव में गालव गंगा जी की सामूहिक महाआरती की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु गलता जी पहुंचें।

इसके अलावा ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर मनाए जाने वाले इस पर्व पर श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जल दान किया। गोविंद देवजी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में ठाकुर जी की जलविहार की झांकी सजाई गई। पंडित गौरव गौड़ ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि गंगा दशहरे के दिन ही स्वर्ग से गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन गंगा के पूजन की परंपरा है।

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