
मुंबई। मुंबई में गणेशोत्सव को लेकर इस वर्ष एक अहम मोड़ सामने आ सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि पांच फीट से बड़ी प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए इस समय प्राकृतिक जलाशयों के अलावा कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार की ओर से बुधवार को यह जानकारी हाईकोर्ट को दी गई, जिस पर कोर्ट ने कहा कि यदि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) अपने नियमों में बदलाव कर रहा है, तो इस वर्ष इसे एक अपवाद स्वरूप विचार किया जा सकता है। कोर्ट ने सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है और तब तक राज्य सरकार से जवाब मांगा गया है। ऐसे में, इस वर्ष के गणेशोत्सव में बड़ी प्रतिमाओं के विसर्जन की अनुमति इस आने वाली सुनवाई पर निर्भर करेगी। राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पीओपी प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए जो भी निर्देश दिए गए हैं, उनका सख्ती से पालन किया जा रहा है। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त सचिव रमेश मनाले द्वारा प्रस्तुत इस हलफनामे में बताया गया कि विसर्जन के अगले ही दिन सभी प्राकृतिक जलाशयों से पीओपी मलबा एकत्र करने के लिए स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया गया है, और इस विषय में राज्य भर में व्यापक जनजागरूकता अभियान भी चलाया गया है। यह मामला उस याचिका के संदर्भ में है जो ठाणे स्थित श्री गणेश मूर्तिकार कामगार संगठन और अन्य मूर्तिकारों द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पीओपी पर पूर्ण प्रतिबंध से हजारों मूर्तिकारों का रोजगार संकट में आ गया है। वर्ष 2020 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध की सिफारिश की थी, लेकिन विभिन्न तकनीकी और व्यावहारिक कारणों से इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका। इसी पृष्ठभूमि में, पर्यावरणविद् रोहित जोशी और अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस वर्ष के माघी गणेशोत्सव से प्रतिबंध को लागू करने का आदेश दिया था। हालांकि, वर्तमान नियमों के अनुसार केवल कृत्रिम तालाबों में ही पीओपी मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रस्तावित बदलावों के आलोक में इस वर्ष बड़ी मूर्तियों को प्राकृतिक जलाशयों में विसर्जन की अस्थायी अनुमति देगा या नहीं। निर्णय आने तक, हजारों मूर्तिकारों और भक्तों की नजरें अदालत के अगले आदेश पर टिकी हुई हैं।