
मुंबई। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने पार्टी के भीतर की राजनीति को लेकर बड़ा दावा किया है। उनके मुताबिक पार्टी के भीतर किसी तरह की कोई लड़ाई ही नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी भरोसा जताया है कि पार्टी का चुनाव चिन्ह कहीं नहीं जाने वाला और इसको लेकर उन्होंने अपनी समझ के हिसाब से दलीलें भी दी हैं। गौरतलब है कि इस साल जुलाई की शुरुआत में शरद पवार की एनसीपी टूट गई थी। बाद में यह बात सामने आई कि इसके 53 विधायकों में से 43 महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ चले गए हैं। पार्टी के अधिकतर एमएलसी के भी उनके साथ जाने की बात कही गई है और इसी आधार में यह खेमा पार्टी के नाम और निशान को लेकर चुनाव आयोग में दावा भी ठोक चुका है।
‘बच्चा-बच्चा जानता है कि एनसीपी मतलब शरद पवार’
उन्होंने आगे कहा, ‘कश्मीर से कन्याकुमारी बच्चा-बच्चा जानता है कि एनसीपी मतलब शरद पवार। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार हैं और महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल हैं…..मेरे ख्याल से जाने (चुनाव निशान) का कोई सवाल ही नहीं है….क्योंकि पार्टी बनाई किसने शरद पवार ने…..तो पार्टी और चिन्ह उन्हीं के साथ रहना चाहिए….यह जाहिर है।
6 अक्टूबर को चुनाव आयोग में है सुनवाई
अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग में दावा किया है कि पार्टी ने कानूनी तरीके से उन्हें पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है, इसलिए पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह (घड़ी) उन्हें ही मिलना चाहिए। आयोग ने इसी आधार पर सीनियर पवार खेमे को अपना पक्ष रखने को कहा था, जिसपर 6 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। जुलाई के शुरू में अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी के 9 एमएलए बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे। तब अजित पवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सरकार में देवेंद्र फडणवीस की तरह दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी। बाकी विधायकों को भी मंत्री पद भी दिया गया।