
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार को उस समय बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब नासिक सेशंस कोर्ट द्वारा अरेस्ट वारंट जारी किए जाने के बाद खेल मंत्री माणिकराव कोकाटे ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1995 के अपार्टमेंट स्कैम केस में दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। कोर्ट के ताजा आदेश ने कोकाटे की राजनीतिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिसके चलते उन्होंने दिन भर चले घटनाक्रम के बाद आखिरकार पद छोड़ने का फैसला किया। दरअसल, माणिकराव कोकाटे पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 1995 में म्हाड़ा प्रोजेक्ट के तहत मुख्यमंत्री की 10 प्रतिशत कोटा योजना का गलत लाभ उठाया। आरोपों के मुताबिक, कोकाटे ने यह दावा करते हुए कि उनके पास कोई घर नहीं है और उनकी आय कम है, कथित तौर पर झूठे दस्तावेज जमा किए और दो आवास हासिल किए। इतना ही नहीं, उन्होंने कथित रूप से अन्य लाभार्थियों को आवंटित किए गए दो घरों को भी अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया। आरोप यह भी है कि घर अपने नाम होने के बाद उन्होंने बिना अनुमति निर्माण कार्य कराया। इस मामले में पूर्व मंत्री तुकाराम दिघोले ने माणिकराव कोकाटे और तीन अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में, 1997 में तत्कालीन अतिरिक्त जिला कलेक्टर की शिकायत के आधार पर कोकाटे भाइयों समेत चार लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया। करीब 27 वर्षों तक नासिक जिला न्यायालय में चली सुनवाई के दौरान 10 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने माणिकराव कोकाटे और उनके भाइयों को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। हाल ही में सजा के बाद नासिक सेशंस कोर्ट ने माणिकराव कोकाटे के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया। इसके बाद कोकाटे ने सजा पर रोक लगाने के लिए बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें वहां से भी तत्काल कोई राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट ने मामले पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं। फिलहाल माणिकराव कोकाटे का इलाज नासिक के लीलावरी हॉस्पिटल में चल रहा है। इसी बीच दिन भर चले कानूनी और राजनीतिक घटनाक्रम के बाद उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे से राज्य की सियासत में हलचल मच गई है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कोर्ट के फैसले और इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस पूरे प्रकरण पर आगे क्या रुख अपनाते हैं और कोकाटे के मामले में सरकार की अगली कार्रवाई क्या होगी। यह मामला एक बार फिर सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही और पुराने घोटालों पर न्यायिक प्रक्रिया की लंबी यात्रा को उजागर करता है।




