मुंबई। महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (‘मैट), मुंबई ने 33 वर्षों में पहली बार सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को त्वरित और सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए ‘लोक अदालत’ का आयोजन किया। यह आयोजन महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय के सहयोग से मेकर टॉवर, कफ परेड, मुंबई में किया गया। विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायाधीश) सुरेश जोशी ने जानकारी दी कि लोक अदालत में कुल 542 मामलों में समझौता हुआ और 138 मामलों का निपटारा किया गया। इनमें: मुंबई बेंच: 238 मामलों में से 39 का निपटारा।
नागपुर बेंच: 150 मामलों में से 63 का निपटारा।
छत्रपति संभाजीनगर बेंच: 154 मामलों में से 36 का निपटारा।
लोक अदालत की संरचना और सहयोग
कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए मुख्य सचिव सुजाता सौनिक के मार्गदर्शन में सभी विभागों के सचिवों ने अहम योगदान दिया। प्रत्येक विभाग ने नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया, जिससे सरकारी अधिकारियों और लोक अदालत के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हुआ। मुख्य प्रस्तुतकर्ता अधिकारी स्वाति मांचेकर ने वर्षों से लंबित मामलों की जांच की और उन्हें लोक अदालत के माध्यम से निपटाने का निर्णय लिया। तीन पैनलों का गठन किया गया, जिसमें वरिष्ठ न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों ने मामलों का निपटारा किया।
लोक अदालत की विशेषताएं
महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण की मुख्य न्यायाधीश मृदुला भाटकर की अध्यक्षता में यह लोक अदालत आयोजित की गई। लोक अदालत के पैनल में प्रमुख न्यायमूर्ति विनय जोशी, ए.पी.कुन्हेकर, आर.बी.मलिक, और नितिन गद्रे जैसे अनुभवी न्यायाधीश और सदस्य शामिल थे। इस आयोजन में मंत्रालय के नोडल अधिकारियों, वकीलों, और ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के सदस्यों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोक अदालत के माध्यम से लंबित मामलों के निपटारे की यह पहल सरकारी तंत्र में सेवा विवादों के त्वरित समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। लोक अदालत के आयोजन का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच लम्बित मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाना था। यह पहली बार था जब इतने बड़े पैमाने पर मामलों को हल करने के लिए विभिन्न विभागों ने समन्वित प्रयास किए। इस आयोजन ने न्यायिक प्रणाली के कुशल संचालन और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया।