
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में 5 दिसंबर से अंतिम बहस शुरू करने का निर्णय लिया। अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह इस मामले से जुड़ी अपनी लिखित दलीलें प्रस्तुत करे और उनकी प्रतियां सभी प्रतिवादियों को उपलब्ध कराए। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने सवाल उठाया कि वर्षो पुराने इस मामले में सभी प्रतिवादियों को तत्काल नोटिस कैसे भेजे जाएंगे, जिस पर अदालत ने जांच एजेंसी को समाधान प्रस्तुत करने को कहा। सीबीआई ने अदालत को अवगत कराया कि वह मुंबई सत्र न्यायालय के पूर्व फैसले को स्वीकार करती है और इसके खिलाफ कोई अपील नहीं करेगी। सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन शेख पहले ही हाई कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उन गवाहों की सूची मांगी है जिनकी गवाही निचली अदालत में सही रूप से दर्ज नहीं हुई थी। मामला 13 वर्ष लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद उस समय सुर्खियों में आया था जब विशेष सीबीआई अदालत ने पुख्ता सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले में कहा गया कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी की मुठभेड़ फर्जी थी। फैसले के बाद विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने सार्वजनिक रूप से शेख परिवार से माफी भी मांगी थी और यह घोषणा की थी कि यह उनके करियर का अंतिम फैसला होगा। सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और चश्मदीद गवाह तुलसीराम प्रजापति की 2005-06 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ों ने देशभर में राजनीतिक और कानूनी बहस छेड़ दी थी। मामले की जांच पहले गुजरात सीआईडी के पास थी, लेकिन आरोपों और विवाद बढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे सीबीआई को सौंपा और निष्पक्ष सुनवाई के लिए मुकदमे को महाराष्ट्र ट्रांसफर किया। सीबीआई ने इस मामले में 38 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था, जिनमें तत्कालीन गुजरात गृह राज्यमंत्री अमित शाह, एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा और कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। हालांकि, सबूतों के अभाव में अदालत ने उन्हें पहले ही बरी कर दिया था। मामले में कुल 210 गवाह पेश किए गए थे, जिनमें से 92 गवाह बाद में बयान बदलने के कारण फितूर घोषित किए गए। सोहराबुद्दीन शेख मध्य प्रदेश के जरीना गांव का कुख्यात अपराधी था, जो 90 के दशक में गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में सक्रिय था। उस पर जबरन वसूली, अपहरण और हथियारों की तस्करी जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे। अब इस मामले पर हाई कोर्ट में अंतिम बहस 5 दिसंबर से शुरू होगी, जिसके बाद इस लंबे मुकदमे की दिशा तय होगी।




