
मुंबई। बोरीवली पुलिस ने एक डेवलपर के उत्तराधिकारियों के खिलाफ बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को जाली दस्तावेज़ जमा करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने लगभग 2.5 एकड़ जमीन वापस लेने की कोशिश की, जिसे पहले अतिरिक्त फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) के लिए बीएमसी को सौंपा गया था। बीएमसी की शिकायत पर 4 अगस्त को मामला दर्ज किया गया, जिसकी जांच अपराध शाखा कर रही है। एफआईआर के अनुसार, 1967 में कांदिवली पश्चिम स्थित 67,932.75 वर्ग मीटर भूमि नानूभाई भट की थी। इसमें से 29,696.34 वर्ग मीटर जमीन बीएमसी ने स्कूल, अस्पताल और पार्क जैसी नागरिक सुविधाओं के लिए आरक्षित की थी। 1973 में भट ने अपने पांच बच्चों के साथ मिलकर मेसर्स इंडियन प्लाबांगो कंपनी बनाई और 1978 में यह जमीन बीएमसी को सौंप दी गई। इसके बदले कंपनी को आरक्षित भूखंडों पर 50 प्रतिशत एफएसआई और डीपी रोड पर 100 प्रतिशत एफएसआई का लाभ मिला, जिसके तहत पांच एकड़ अनारक्षित भूमि पर 18 आवासीय भवन बनाए गए। बीएमसी ने भूमि का स्वामित्व स्थानांतरित करने और चारदीवारी बनाने का आदेश दिया था, लेकिन कंपनी ने इसका पालन नहीं किया। 2002 में भट के उत्तराधिकारियों- जगदीश भट, सुरेशचंदर भट, गिरीश भट, वत्सला जोशी और मालिनी दवे ने कथित तौर पर बीएमसी की जानकारी के बिना अपने नाम उत्तराधिकारी के रूप में दर्ज करा लिए। बाद में, 2004 में, उन्होंने पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से बीएमसी द्वारा अधिग्रहित भूमि को तीसरे पक्ष को सौंप दिया। अक्टूबर 2024 में वाडीलाल शाह ने यह पावर ऑफ अटॉर्नी अपनी पत्नी भावना शाह को सौंप दी, जिन्होंने बेटे रिंकेश शाह के साथ मिलकर उस जमीन की खरीद-फरोख्त की, जो पहले से ही बीएमसी के कब्जे में थी। आरसेंट्रल वार्ड के सहायक अभियंता सुनील शेटे की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(2) (आपराधिक विश्वासघात), 318(4) (धोखाधड़ी), 336(3) (जालसाजी), 338 (मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।




