
मुंबई। महाराष्ट्र में प्रस्तावित शक्तिपीठ हाईवे को लेकर किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में 1 जुलाई को कृषि दिवस के अवसर पर किसानों ने राज्यभर में “हाईवे रोको” आंदोलन का आयोजन किया, जिससे कई जिलों में यातायात बाधित हो गया और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। यह निर्णय 26 जून को शक्तिपीठ हाईवे विरोध संघर्ष समिति की ऑनलाइन बैठक में लिया गया था, जिसमें 12 प्रभावित जिलों के जिला समन्वयकों के साथ-साथ कांग्रेस विधायक सतेज पाटिल, सांसद विशाल पाटिल, विधायक विश्वजीत कदम, विधायक कैलास पाटिल और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद राजू शेट्टी शामिल हुए।
प्रदर्शन का दायरा और प्रतिक्रिया
प्रदर्शन का सबसे बड़ा असर कोल्हापुर जिले में देखा गया, जहां पुणे-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग के कई हिस्सों पर किसानों ने यातायात अवरुद्ध कर दिया। भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रैफिक रोक कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे अपनी पुश्तैनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। बीड जिले के एक किसान ने कहा, “यह जमीन हमारे पूर्वजों की अमानत है। सरकार के किसी भी दबाव में हम इसे नहीं छोड़ेंगे।”
प्रमुख नेताओं की भूमिका
पूर्व सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी ने आंदोलन का नेतृत्व करते हुए सैकड़ों किसानों के साथ सड़कों पर उतरकर हाईवे जाम किया। प्रदर्शन को नियंत्रित करने के प्रयास में पुलिस ने उन्हें और अन्य कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। उनके साथ कांग्रेस नेता सतेज पाटिल और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी विरोध जताया।
प्रभाव और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
प्रदर्शन के चलते कई घंटों तक यातायात प्रभावित रहा। प्रशासन को यातायात डायवर्ट करना पड़ा, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर इंटरनेट सेवाएं भी बाधित रहीं। हालांकि अब तक राज्य सरकार की ओर से इस आंदोलन को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और राजस्व अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है।
किसानों की मांग और चेतावनी
शक्तिपीठ हाईवे विरोध संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य सरकार ने परियोजना को रद्द करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन और अधिक उग्र रूप ले सकता है। किसानों ने मांग की है कि सरकार पारदर्शी ढंग से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया रोके और ग्राम पंचायतों की अनुमति के बिना किसी भी निर्माण कार्य की अनुमति न दी जाए। शक्तिपीठ हाईवे का विरोध अब केवल एक सड़क परियोजना का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह किसानों के भूमि अधिकार और उनकी आजीविका की रक्षा का बड़ा आंदोलन बनता जा रहा है। राजू शेट्टी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में हो रहा यह विरोध राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है, खासकर ऐसे समय में जब किसान वर्ग पहले से ही आर्थिक संकटों से जूझ रहा है।